नयी दिल्ली -रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘हुनर हाट’ के देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने की संभावना पर जोर देते हुए रविवार को कहा कि अगले दो-तीन साल में ग्रामीण उद्योग के वार्षिक कारोबार को 80 हजार करोड़ रूपये से पांच लाख करोड़ रूपये तक पहुंचाने का लक्ष्य है।
सिंह ने केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित किये जा रहे 26वें ‘हुनर हाट’ के उद्घाटन के मौके पर यह टिप्पणी की।
सिंह ने कहा, “ये शिल्पकार और हस्तकार देश की अर्थव्यवस्था में बहुत योगदान दे सकते हैं । विडंबना यह है कि उन्हें जितना प्रोत्साहन मिलना चाहिए था, वह नहीं मिल पाया है। हमारी सरकार उन्हें प्रोत्साहित कर रही है।”
उन्होंने बताया, “अभी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का कारोबार 80 हजार करोड़ रूपये है। इसे दो-तीन साल में पांच लाख करोड़ रूपये तक पहुंचाने का लक्ष्य है ।”
रक्षा मंत्री ने कहा, “हुनर हाट हमारी संस्कृतिक विरासत की समृद्धि को भी दिखाता है।’’
उन्होंने कहा, “अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी हुनर हाट में रुचित लेते हैं, ताकि देश की अर्थव्यवस्था में इसका योगदान बढ़े ।”
सिंह ने कहा कि वह यहां इसलिए आए हैं, क्योंकि वह पिछली बार यहां लगी दुकानों से बहुत प्रभावित हुए थे।
उन्होंने कहा, ‘‘यहां यह बात साबित होती है कि प्रतिभा, क्षमता और कला गांव, गली और गलियारों में रहती है।”
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इस अवसर पर कहा कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने देश भर के दस्तकारों, शिल्पकारों के स्वदेशी उत्पादों को लोगों तक पहुंचाने एवं उन्हें प्रोत्साहित करने के बेहतरीन मंच ‘हुनर हाट’ के जरिये अब तक पांच लाख से ज्यादा दस्तकारों, शिल्पकारों एवं कलाकारों को रोजगार और रोजगार के मौकों से जोड़ा है।
उन्होंने यह भी बताया कि आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के साथ 75 “हुनर हाट” के जरिये सात लाख 50 हजार दस्तकारों एवं शिल्पकारों को रोजगार एवं रोजगार के मौकों से जोड़ा जायेगा।
उनके मुताबिक, ‘हुनर हाट’ ई प्लेटफार्म के साथ सरकारी ई-मार्किट मंच (जीईएम) की मदद से देश-विदेश के लोग सीधे दस्तकारों, शिल्पकारों, कारीगरों के बेहतरीन स्वदेशी सामानों को देख-खरीद रहे हैं।
इस बार ‘हुनर हाट’ का आयोजन ‘वोकल फॉर लोकल’ विषय वस्तु के साथ 20 फरवरी से 01 मार्च 2021 तक किया जा रहा है।
इस ‘हुनर हाट’ में आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखण्ड, कर्नाटक, केरल, लद्दाख, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, नगालैंड, ओडिशा, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल सहित देश के 31 से अधिक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से 600 से अधिक दस्तकार, शिल्पकार एवं कारीगर भाग ले रहे हैं।