9 सितंबर को हिमालय दिवस देश में करीब 200 से ज्यादा स्थानों पर मनाया जायेगा। -अनिल जोशी

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देहरादून  –  हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 9 सितंबर को हिमायल दिवस देश भर में मनाया जायेगा। इस दिवस को मनाए जाने के पीछे मुख्य कारण हिमालय को श्रद्धांजलि देने के साथ—साथ उन तमाम मुद्दे जो हिमालय के आज तक बिखरे हुए और नकारे हुए हैं उनके प्रति देश—दुनिया का ध्यान खींचना है। इस बार के हिमालय दिवस का विषय ही हिमालय ज्ञान— विज्ञान पर

केन्द्रित है। यह भी स्वीकारना पड़ेगा कि हिमालय देश में ज्ञान— विज्ञान का केन्द्र और श्रोत रहा है। वो चाहे आध्यात्म से जुड़ी हों, आस्था और संस्कृति  संस्कार से ,देश दुनिया को हिमालय ने ही परोसे हैं। इतना ही नहीं दुनिया भर में  प्रसिद्ध बड़ी नदियां गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र यह सब हिमालय की ही देेन है जो करीब 1,9 बिलियन लोगों को पाल रही हैं। हवा, मिट्टी भी हिमालय की ही देन है जो देश को कई तरह के लाभ देती है और उनमें से हरित क्रांति और श्वेत क्रांति मुख्य हैं। हिमालय के वन जो कि लगभग इस देश के वनों का एक तिहाही हिस्सा हैं वे इस देश के वनों का सबसे बड़ा हिस्सा है और स्वत: ही उसी तरह के योगदान भी प्रकृति और पर्यावरण को इन दोनों से मिलते हैं। हम हिमालय के बहुत से संवेदनशील पहलुओं पर बहुत ज्यादा केन्द्रित नहीं हुए। राज्य भर पा लेने से हिमालय की बेहतरी संभव नही  इससे सभी लोग परिचित भी हैं । ऐसी  समझ पनपाने का समय है कि हिमालय को कैसे बचाना है। क्योंकि प्रकृति का विज्ञान सर्वोपरि है इसलिये हिमालय को बचाना हो तो शायद प्रकृति सोच का रास्ता सबसे स्थायी होगा।

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इस बार का हिमालय दिवस देश में करीब 200 से ज्यादा स्थानों पर मनाया जायेगा। और यह पहल हम की ओर से की जा रही है।इस पहल में हर वर्षों की तरह देश के विभिन्न पहाड़ी राज्यों में संदर्भित मुद्दे पर बातचीत कर हिमालय के लिए जहां एक तरफ संरक्षण के मुद्दे खड़े करेगा वहीं दूसरी तरफ इसके ज्ञान— विज्ञान को एक बड़ी बहस बनायेगा।

जम्मू कश्मीर में ये मुख्य रूप से सामाजिक संग्ठनों के बीच व एग्रीकल्चर यूनिर्वसिटी द्वारा मनाया जा रहा है। और इसी तरह से हिमाचल प्रदेश में हिमाचल के विश्वविद्याल और आईएचबीटी जैसे संस्थान इसमें भागीदारी कर रहे है। उत्तराखंड में विभिन्न केन्द्रिय संस्थान जैसे वाडिया इंस्टीट्यूट ,फॉरेस्ट रिसर्च।इंस्टीट्यूट ,  वाईल्ड लाईफ इंस्टीट्यूट ,आयर्वेद विश्वविद्यालय ,हिमालयीय  विश्वविद्यालय व अन्य संस्थान जो उत्तराखंड में स्थित हैं उनसे हिमालय दिवस को मनाने का अनुरोध किया गया है।  इसी तरह नॉर्थ इस्ट में यह सामाजिक संगठनों के अलावा विश्वविद्यालयों से भी अनुरोध किया गया है कि वे इस मुद्दे पर बातचीत कर हिमालय के ज्ञान—विज्ञान के संकलन में सहायता करें। वहां पर     ग्रीन सोसाईटी व आईबीएसडी मुख्य रूप से इसमें बड़ी भूमिका निभायेंगें।

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इन सब के अलावा केन्द्र में इस बार दिल्ली विश्वविद्याल ने इस कार्यक्रम को करने का निर्णय लिया है और इसमें माननीय उपस्थिति भारत सरकार के कैबिनट मंत्री किरेन रिजिजू,विज्ञान तकनीक राज्य मंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह, रक्षा और पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट, पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार प्रधानमंत्री के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार  डॉ विजय राघवन व जैवप्रौद्योगिकी व विज्ञान तकनीकि और प्रद्योगिकी  सचिव डॉ रेणु स्वरूप से भागीदारी करने के लिए अनुरोध किया गया है।
उत्तराखंड में इसके अलावा एक वर्चुअल वैबिनार का भी आयोजन है जिसमें हज़ारों  की संख्या में लोगों को जोड़ने का प्रयत्न किया गया है। ये  “टैक्नो हब” और हिमालयीय यूनाइटेड मिशन “हम” की भागीदारी से किया जायेगा। इसमें मुख्य रूप से महाराष्ट्र के गर्वनर महामहिम श्री भगत सिंह कोश्यारी अपने आर्शीवचन से कार्यक्रम की  शुरूआत करेंगें। देश् भर में मनाया जाने वाला हिमालय दिवस एक सामुहिक प्रयत्न है जिसमें सबकी भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

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राज्य सरकार उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी से भी अनुरोध किया गया है कि वे सरकारी  स्तर पर हिमालय दिवस के आयोजन कर ​इस महान पर्वत श्रेणी को श्रद्धा अंजलि दें और इसके संरक्षण के प्रति सरकार की गंभीरता व कटिबद्धता भी जताएं ।
विश्व में भूटान, नेपाल जैसे देशों को भी जोड़ने की कोश्शि की गई है कि वे हिमालय दिवस में अपने भागीदारी करें।

 

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