देहरादून – (VOICE OF UTTARAKHAND) उत्तराखण्ड राज्य नेपाली भाषा समिति के अध्यक्ष श्री मधुसूदन शर्मा जी ने अवगत कराया कि आजादी के अमृत महोत्सव के पावन अवसर पर अमर शहीद मेजर दुर्गा मल्लजी ( आजाद हिंद फौज की स्मृति में डाक टिकट जारी किया गया है |
उत्तराखण्ड राज्य नेपाली भाषा समिति एवं सहयोगी संस्थाओं द्वारा दिनांक 23 जनवरी 2023 को आजाद हिंद फौज के नेता सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिवस के पावन अवसर पर अमर शहीद मेजर दुर्गा मल्लजी डाक टिकट विमोचन कार्यक्रम का आयोजन हर्षोल्लास के साथ भव्य रूप में किया जायेगा | इस डाक टिकट का विमोचन उत्तराखण्ड के महामहिम राज्यपाल मेजर जनरल गुरमीत सिंहजी के करकमलों द्वारा किया जायेगा | इस अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामीजी, सिक्किम के मा०मुख्यमंत्री श्री प्रेम सिंह तमांगजी , दार्जिलिंग के सांसद राजू बिष्टाजी , टिहरी लोकसभा सांसद महारानी माला राज्य लक्ष्मी शाह जी ,उत्तराखण्ड राज्य के मा०कैबिनेट मंत्री मा०प्रेम चंद अग्रवालजी , मा०कैबिनेट मंत्री श्री गणेश जोशीजी , जिला देहरादून के माननीय विधायक गण सादर आमंत्रित है |
पतजंलि योगपीठ के परम आदरणीय आचार्यश्री बालकृष्ण महाराज जी भी इस अवसर पर शिरकत करेंगे |
*अमर शहीद मेजर दुर्गा मल्ल जी का संक्षिप्त जीवन परिचय* :—-
शहीद मेजर दुर्गा मल्लजी (1जुलाई 1913 –25 अगस्त1944 ) आजाद हिंद फौज के प्रथम गोर्खा सैनिक थे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी | दुर्गा मल्ल का जन्म 1जुलाई 1913 को देहरादून के निकट डोईवाला में गोर्खा राईफल्स के नायब सुबेदार गंगाराम मल्ल क्षेत्री एवं पार्वती देवी के घर में हुआ | वे बचपन से ही बहादुर और प्रतिभावान थे |उन्होंने गोर्खा मिलट्री इंटर कालेज गढ़ी कैंट देहरादूनमें अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की |
सन् 1931 में मात्र 18 वर्ष की आयु में दुर्गा मल्लजी 2/1 गोर्खा राईफल्स में भर्ती हो गये |लगभग 10 वर्ष तक सेवारत रहने के बाद
जब 01 सितम्बर 1942 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा ” *आजाद हिंद फौज* ” का गठन हुआ, नेताजी की देशभक्ति से प्रेरित होकर दुर्गा मल्लजी भी सेनाकी नौकरी छोड़कर आजाद हिंद फौज मे सम्मिलित हो गये , वहाँ उनकी की भूमिका बहुत सराहनीय थी |जिससे प्रभावित होकर नेताजी ने उन्हें मेजर की पदवी से नवाजा |बाद में उन्हें गुप्तचर शाखा का महत्वपूर्ण कार्य सौंपा गया |27 मार्च 1944 को महत्वपूर्ण सूचनाऐं एकत्र करते समय मेजर दुर्गा मल्ल को अंग्रेजी सेना ने मणिपुर में कोहिमा के पास उखरूल में पकड़ लिया |युद्धबंदी बनाने और मुकदमें के बाद उन्हें बहुत कठिन यातनाएँ दी गईं और उन्हें माफी माँगने को कहा गया |परंतु आजादी के दीवाने दुर्गा मल्ल ने माफी नहीं माँगी | 15 अगस्त 1944 को उन्हें लालकिले की सैंट्रल जेल में लाया गया और दस दिन बाद 25 अगस्त 1944 को उन्हें फाँसी के फंदे पर चढा़ दिया गया | जाँबाज वीर मेजर दुर्गा मल्ल ने हँसते हँसते माँ भारती की आजादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया |
*कार्यक्रम*
मीडिया प्रभारी प्रभा शाह ने अवगत कराया कि इस अवसर पर शहीद मेजर दुर्गा मल्लजी के जीवन पर आधारित लघु नाटिका का मंचन भी किया जायेगा |
देश के लिए शहीद हुए भारतीय सेना के जाँबाज सैनिको की वीरमाताओं एवं वीरता पदक से अलंकृत वीर सैनिकों को भी सम्मानित किया जायेगा |
और शहीद मेजर दुर्गा मल्लजी के उनके परिवाजन ( भतीजों) को सम्मानित किया जायेगा | आर्मी बैंड डिस्पले और सेना के जवानों द्वारा सुप्रसिद्ध खुखरी डाँस भी होगा | मुख्य अतिथि एवं विशिष्ठ अतिथियों का स्वागत में पारम्परिक पंचे बाजा के कलाकार अपनी लोकगीतों की धुन से करेंगे |
देशभक्ति गीतों के माध्यम से वीर बलिदानियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किये जायेंगे |
आज की प्रेस वार्ता में गोर्खाली सुधार सभाके अध्यक्ष श्री पदम सिंह थापाजी, शहीद मेजर दुर्गा मल्ल डाक टिकट विमोचन समिति के अध्यक्ष पूर्व महाप्रबंधक इंजि० मेग बहादुर थापाजी , महासचिव श्री श्याम रानाजी ,सहयोगी संस्थाओं एवं उपजातीय समितिओं के अध्यक्ष, सभा के शाखा अध्यक्ष,कै०ओ०पी गुरूंग , कै०वाई०बी०थापा, श्री राजेंद्र मल्ल, श्रीमती पूजा सुब्बा चंद,श्री लक्ष्मण लामा, श्रीमती पुष्पा क्षेत्री, श्रीमती नीरा थापा, श्रीमती सपना मल्ल एवं गणमान्यजन उपस्थित थे |