बिना मंजूरी के नहीं लग सकेंगे जनपद चम्पावत में मेडिकल कैंप

172

– जिस अस्पताल का एमओयू साइन होगा वही करेगा कैंप का आयोजन

चंपावत – शहर में हर महीने कई एनजीओ, सोसायटियां और मेडिकल दुकानदार फ्री मेडिकल कैंप लगाते हैं । लेकिन अधिकतर कैंपों की परमिशन ही नहीं ली जाती। शहर में पिछले वित्तीय वर्ष से अब तक करीब दो दर्जन से अधिक मेडिकल कैंप लगाए जा चुके हैं जिसमें से स्वास्थ्य विभाग से अनुमति लेकर कैंप लगाने वालों की गिनती काफी कम ही रही। हेल्थ डिपार्टमेंट के मुताबिक फ्री मेडिकल कैंप लगाने के लिए सीएमओ कार्यालय से अनुमति लेना जरूरी है। जिसकी अनदेखी इस समय सबसे अधिक मेडिकल दुकानदार और प्राइवेट अस्पताल कर रहे हैं।

लगातार मिल रही शिकायतों के बाद स्वास्थ्य विभाग बगैर अनुमति के लगने वाले कैंपों पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहा है । सीएमओ चम्पावत डॉ देवेश चौहान ने इस मामले का संज्ञान लेकर कहा कि जिस अस्पताल का एमओयू साइन है केवल वही यहां पर कैंप लगा सकता है । अगर किसी भी संस्था को मेडिकल कैंप लगाना है तो सबसे पहले उसे सीएमओ कार्यालय में कैंप की जानकारी देनी होगी। उन्होंने कहा कि लोग कैंप में जाने से पहले इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जिस कैंप से वे दवा ले रहे हैं। उसका स्वास्थ्य विभाग से अनुमति ली गई है या नहीं।

Also Read....  मणिपाल हॉस्पिटल्स ने पूर्वी भारत का पहला एआई-संचालित इंजेक्टेबल वायरलेस पेसमेकर सफलतापूर्वक स्थापित किया

कैंप के दौरान अगर कोई घटना होती है तो उसकी जिम्मेदारी कैंप लगाने वाले सदस्यों की मानी जाएगी। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से शहर में कुछ मेडिकल दुकानदारों और अस्पतालों के द्वारा पड़ोसी राज्यों से डॉक्टर बुलवाकर शिविर लगवाया जा रहा है। जहां मरीजों को इलाज कराने के लिए परेशानी उठानी पड़ रही है ।

Also Read....  मणिपाल हॉस्पिटल्स ने पूर्वी भारत का पहला एआई-संचालित इंजेक्टेबल वायरलेस पेसमेकर सफलतापूर्वक स्थापित किया

इसके अलावा मरीजों को रेफर कर मनमानी फीस ली जा रही है । सीएमओ ने बताया कि शिकायत मिलने पर पर शहर के मेडिकल दुकानदारों और अस्पतालों के द्वारा लगवाए गए शिविर को बंद कराया जा रहा है ।

*एक साल के लिए होता है मेडिकल कैंप के लिये एमओयू*
केम्प के लिए दवाओं की लिस्ट व सैंपल भी देने होंगे
कैंप में वही अस्पताल अपनी भागेदारी कर सकता है जिसका सीएमओ दफ्तर के साथ मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टेंडिंग (एमओयू) साइन हुआ हो। यह एमओयू एक साल के लिए ही होता है। एप्लीकेशन के बाद स्वास्थ्य विभाग को जानकारी देनी होती है कि कैंप में क्या-क्या इलाज या किस तरह लोगों का चेकअप किया जाएगा। जो दवाएं लोगों को मुहैया करवाई जाएंगी उनकी लिस्ट और सेंपल विभाग को देने होंगे। कैंप में जो डॉक्टर लोगों की जांच करेगा, वह छग मेडिकल बोर्ड में रजिस्टर्ड होना जरूरी है। इसके साथ डॉक्टर और उसके स्टाफ की जानकारी भी देनी होती है।

Also Read....  मणिपाल हॉस्पिटल्स ने पूर्वी भारत का पहला एआई-संचालित इंजेक्टेबल वायरलेस पेसमेकर सफलतापूर्वक स्थापित किया

LEAVE A REPLY