बांधों के पुनर्वास एवं सुधार पर देशभर से आए विशेषज्ञों ने किया मंथन।

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देहरादून –  विश्व बैंक द्वारा पोषित बांध पुनर्वास एवं सुधार परियोजना के द्वितीय एवं तृतीय चरण की तृतीय तकनीकी बैठक देहरादून में आयोजित की गई। बैठक में पुराने बांधों एवं बैराजों की सुरक्षा तथा मरम्मत के विभिन्न पहलुओं पर देश के विभिन्न राज्यों एवं विभागों से आए तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा व्यापक विचार विमर्श किया गया। इसके अंतर्गत बांधों एवं बैराजों के संचालन से संबंधित समस्याओं तथा तकनीकी एवं वित्तीय चुनौतियों पर चिंतन करते हुए उनके समाधानों पर विचार विमर्श किया गया। इसके अतिरिक्त बैठक में बांधों की सुरक्षा, जोखिम का आंकलन, प्रशिक्षण द्वारा क्षमता विकास कार्यक्रमों, बांध सुरक्षा अधिनियम -21, प्रबंधन सूचना प्रणाली पर जानकारी साझा करने आदि विषयों पर प्रतिभागियों द्वारा मंथन किया गया। साथ ही साथ तकनीकी समिति के सदस्यों द्वारा बैठक में विभिन्न बांधो एवं बैराजों पर चल रहे कार्यों को और अधिक गति प्रदान करने के उपायों पर भी चर्चा की गई। बैठक में यूजेवीएन लिमिटेड के मनेरी बांध की प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली पर भी एक प्रस्तुतिकरण दिया गया जिसमें आकस्मिक परिस्थितियों में आपदा की स्थिति से उत्पन्न होने वाले जोखिमों को कम करने हेतु यूजेवीएन लिमिटेड द्वारा अपनाए जा रहे उपायों की जानकारी दी गई। यूजेवीएन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक डॉ. संदीप सिंघल ने बताया कि बांध पुनर्वास एवं सुधार परियोजना विश्व बैंक के सहयोग से चलाई जा रही है जिसका उद्देश्य पुराने बांधों की सुरक्षा तथा परिचालन में सुधार करना तथा संबंधित संरचनाओं एवं उपकरणों को बेहतर बनाना है। डॉ. सिंघल ने बताया कि तकनीकी समिति की बैठक में प्राप्त सुझाव तथा निष्कर्ष भविष्य में बांधों को और अधिक उन्नत बनाने में निश्चित ही उपयोगी साबित होंगे।

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बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय जल आयोग के सदस्य अभिकल्प एवं अनुसंधान भोपाल सिंह द्वारा की गई। बैठक में विश्व बैंक से सी. राजगोपाल सिंह, संयुक्त सचिव जल शक्ति मंत्रालय आनंद मोहन, निदेशक परियोजनाएं यूजीवीएन लिमिटेड सुरेश चंद्र बलूनी, अधिशासी निदेशक यूजेवीएन लिमिटेड तथा नोडल अधिकारी बांध पुनर्वास व सुरक्षा पंकज कुलश्रेष्ठ, निदेशक केंद्रीय परियोजना प्रबंधन इकाई राकेश कश्यप के साथ ही केंद्रीय मृदा एवं सामग्री अनुसंधान केंद्र, भारतीय भूगार्भिक सर्वेक्षण, भारतीय मौसम विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आदि के साथ ही विभिन्न राज्यों की कार्यदायी संस्थाओं के तकनीकी विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया।

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