गुरु तेग बहादुर जी के 350वें बलिदान दिवस पर अभाविप ने आयोजित की संगोष्ठी

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– देहरादून राष्ट्रीय अधिवेशन से पूर्व गुरु तेग बहादुर जी के 350वें बलिदान दिवस पर संगोष्ठी हुई आयोजित

देहरादून: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा आज धर्म-रक्षा, राष्ट्रवाद और सर्वोच्च आत्मबलिदान के प्रतीक श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें बलिदान दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय अधिवेशन हेतु बसाए गए ‘भगवान बिरसा मुंडा नगर’ में एक भव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी तथा राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री आशीष चौहान की विशेष उपस्थिति रही, जिन्होंने गुरु के अद्वितीय त्याग को नमन करते हुए युवाओं का मार्गदर्शन किया।

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सत्रहवीं शताब्दी का वह काल, जब मुगल शासक औरंगज़ेब द्वारा धार्मिक स्थलों का विध्वंस, जजिया कर का थोपना और कश्मीरी पंडितों पर जबरन धर्मांतरण का दमनकारी अत्याचार किया जा रहा था, उस समय श्री गुरु तेग बहादुर जी ने संपूर्ण भारत की आध्यात्मिक चेतना के प्रतिनिधि के रूप में अत्याचारों के विरुद्ध अडिग प्रतिरोध खड़ा किया। धर्म और मानवीय मूल्यों की रक्षा हेतु अन्याय को स्वीकारने से इंकार करते हुए गुरु तेग़ बहादुर जी ने चाँदनी चौक में अपना शीश समर्पित कर दिया, यह बलिदान आज भी भारतीय इतिहास के सर्वोच्च बलिदानों में से एक है।
इसी स्मृति को अधिवेशन में पुनर्जीवित करने के लिए दिल्ली स्थित गुरुद्वारा शीशगंज साहिब से पवित्र जल लाया जा रहा है जिसे अधिवेशन स्थल पर स्थापित कर गुरुजी के इस अप्रतिम बलिदान को श्रद्धांजलि दी जाएगी।

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संगोष्ठी को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने कहा,“सत्रहवीं शताब्दी में मुगल अत्याचारों के विरुद्ध गुरु तेग बहादुर जी ने केवल सिखों के गुरु के रूप में, बल्कि भारत की आध्यात्मिक आत्मा के प्रतिनिधि के रूप में अपने प्राणों का उत्सर्ग किया। उनके 350वें बलिदान दिवस पर हम उन्हें हृदय की गहराइयों से नमन करते हैं।”

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अभाविप के राष्ट्रीय संगठन मंत्री  आशीष चौहान ने कहा,“भारत की परंपरा सदैव संदेश देने की रही है धर्म की रक्षा, सत्य के प्रति दृढ़ संकल्प और अन्याय के सामने अडिग रहने का संदेश। गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान इस सनातन संदेश का सर्वोच्च उदाहरण है। आज की युवा पीढ़ी को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर राष्ट्रनिर्माण की दिशा में अग्रसर होना चाहिए।”

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