नई दिल्ली- बार कॉउन्सिल ऑफ़ इंडिया देश में विधि शिक्षा और विधि व्यवसाय को नियमित/Regulate करने और विधि-शिक्षा के स्टार को बढ़ावा देने के कार्यों का निर्वहन करने के लिए अधिवक्ता अधिनियम, 1961 (Advocates Act, 1961) के तहत संसद द्वारा बनाई गई एक संवैधानिक संस्था है।
ट्रस्ट के माध्यम से बार कॉउन्सिल ऑफ़ इंडिया ने बी.सी.आई. ट्रस्ट फॉर प्रमोशन ऑफ़ एजुकेशन (कानूनी और व्यावसायिक) सुर विधि सुधार अनुसन्धान तथा सामाजिक प्रशिक्षण के सुधार के लिए Indian Institute of Law नामक एक आदर्श ”विधि शिक्षक अकादमी” की स्थापना के लिए पहल की है, यह संसथान अधिवक्ताओं हेतु सतत continuous विधि शिक्षा एवं अनुसन्धान का कार्यों का निर्वाह भी करेगी।
IIL, भारत के प्रसिद्द डीम्ड विश्वविद्यालय ”कलिंग इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT)” के साथ मिलकर और इसके तत्वावधान में काम करेगा।
आज तक, विधि शिक्षकों, और अधिवक्ताओं के कौशल विकास की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए विधि के क्षेत्र में कोई प्रशिक्षण संस्थान नहीं था। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ लॉ (IIL) के माध्यम से विधि शिक्षक एवं युवा वकील अपने कार्य कौशल को बढ़ाएंगे।
बी.सी.आई. ट्रस्ट ने वर्ष 1986 में बंगलौर में नेशनल लॉ स्कूल ऑफ़ इंडिया यूनिवर्सिटी नाम से पहले संस्थान की स्थापना की थी, जो आज भी देश की मॉडल लॉ यूनिवर्सिटी बनी हुई है। IIL पूरे देश में अपनी तरह का पहला संस्थान होगा। लम्बे समय से हमारी कॉउन्सिल इस तरह के संस्थान के बारे में सोच रही थी।
लेकिन बी.सी.आई. की उक्त योजना पहले किसी न किसी की वजह से मूर्त्त न हो सकी, परन्तु आखिरकार एक महान दूरदर्शी, शिक्षाविद लोकसभा के माननीय सदस्य और KIIT और KISS डीम्ड विश्वविद्यालयों के संस्थापक डॉ अच्युक्त सामंत जी से परामर्श के बाद, बार कॉउंसिल ऑफ़ इंडिया के सदस्यों ने फैसला लिया और प्रस्ताव पारित किया कि KIIT विश्वविद्यालय के सहयोग और समर्थन में ओडिशा के भुवनेश्वर में Indian Institute of Law की स्थापना की जाए।
बी.सी.आई. ट्रस्ट ने KIIT के साथ एक करार किया है और तदनुसार KIIT ने पाटिया, भुवनेश्वर में आवश्यक बहुत ही बहुमूल्य व उपयोगी भूमि प्रदान की है। इसके अलावा 1.5 लाख वर्ग के प्रस्तावित परिसर के बुनियादी ढाँचे की लागत का 40% भी KIIT विश्वविद्यालय वहन करने को राजी हुई है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि उक्त संस्थान वैश्विक शिक्षा के मानचित्र में पूरे भारत, खासकर ओडिशा राज्य की स्थिति को सुदृढ़ करके कानूनी शिक्षा के लिए क्षेत्र में लम्बे समय तक प्रभाव डालेगी। यह संस्थान विशेष रूप से ओडिशा और सामान्य रूप से पूरे राष्ट्र के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि साबित होगी।
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ लॉ निरंतर विधि शिक्षा (कंटीन्यूअस लीगल एजुकेशन), प्रोफेशनल स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम, रिफ्रेशर कोर्स और लर्निंग कोर्स फॉर अल्टरनेटिव डिस्प्यूट रेज़ोल्यूशन से सम्बंधित कायदों व तरीकों के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का प्रबंधन एवं सञ्चालन करेगा। मध्यस्थता और सुलह सीखने और सिखाने के विभिन्न केन्दों के तहत; यह कानून,न्यायिक और सामाजिक विकास के सभी पहलुओं में अनुसंधान करेगा और इसे प्रकाशित और प्रदर्शित करेगा।
यह निरंतर विधि शिक्षा (कंटीन्यूअस लीगल एजुकेशन) के उद्देश्य के लिए प्रशिक्षण और कानूनी शिक्षा के दौर से गुज़र रहे वकीलों के लिए विभिन्न कानूनी विषयों पर केसबुक, पत्रिकाओं, समाचार पत्र आदि (हार्ड कॉपी और ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से सॉफ्ट कॉपी दोनों) प्रकाशित करेगा।
समय-समय पर यह संस्थान अधिवक्ताओं, शिक्षाविदों, और न्यायविदों के लिए संस्थान संगोष्ठियों, प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन और संचालन करेगा।
यह भारत के भीतर और बाहर अपनी उन्नति के लिए नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज और अन्य अच्छे विधि विश्वविद्यालय, व्यावसायिक निकायों, न्यायपालिका, सरकारी विभागों और गैर सरकारी संगठनों और विभिन्न अधिवक्ता संघों, बार एसोसिएशनों, स्टेट बार कॉउन्सिलों एवं दुनिया के प्रतिष्ठित संस्थानों व् कानूनी कार्यों से जुड़े अन्य संगठनों के साथ सहयोग करेगा।
प्रथम चरण में आईआईएल की निम्नलिखित इकाइयां होंगी:
(i) शैक्षणिक स्टाफ कॉलेज (ASC)
(ii) स्कूल ऑफ़ कंटीन्यूइंग एजुकेशन (SCE)
(iii) आई.आई.एल. प्रशिक्षण केंद्र (IIL-TC)
(iv) कानूनी सहायता केंद्र (CLA)
(v) विदेशी डिग्री धारकों के लिए ब्रिज कोर्स
आईआईएल के प्रबंधन हेतु तीन निकायों यानी सामान्य परिषद, कार्यकारी परिषद और शैक्षणिक परिषद का गठन करेगा और प्रबंधन सम्बन्धी इन निकायों में सर्वोच्च न्यायपालिका, सरकार, शिक्षा मंत्रालय, यूजीसी, शिक्षाविदों, विधि व्यवसाय के वरिष्ठ सदस्यों, ओडिशा के मुख्या व अन्य न्यायाधीशों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व होगा।
बार कॉउन्सिल ऑफ़ इंडिया ट्रस्ट प्रारंभिक 3 वर्षों के लिए संस्थान के उक्त सभी कार्यक्रमों को स्वयं संचालित करेगा। उसके बाद, कुछ National Law Universities एवं अन्य पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर (infrastructure) रखने वाले संस्थानों को भी IIL की तर्ज पर पाठ्यक्रम प्रदान करने की अनुमति दी जाएगी।
हमने सर्वोच्च न्यायलय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों और प्रतिष्ठित न्यायविदों ,प्रतिष्ठित वरिष्ठ अधिवक्ताओं बार के प्रख्यात नेताओं NLU और अन्य प्रतिष्ठित विधि शिक्षकों के सक्रीय सहयोग वह सहभागिता शिक्षकों में कौशल विकास करने का निर्णय लिया है। ऐसे लोग ही उस संस्थान के मार्गदर्शक, पूर्णकालिक शिक्षक और अतिथि शिक्षक हुआ करेंगे।
इसके अलावा बी.सी.आई ट्रस्ट उक्त कार्यकमो के लिए विदेशों से विख्यात ,लॉ डीन, शिक्षाविद, जजों और बार के प्रतिनिधियों व सदस्यों को भी आमंत्रित करेगा।
उपर्युक्त सभी कानूनी दिग्गज अपने ज्ञान और अनुभव के मोती साझा करेंगे जो न केवल विधि शिक्षकों और विधि वेत्ताओं को लाभान्वित करेंगे बल्कि उन्हें भारत और विदेशों के अचे प्रख्यात शिक्षाविदों से बातचीत करने और सीखने का एक सुअवसर प्रदान करेंगे।
हमारा मानना है की ये INDIAN INSTITUTE OF LAW कानूनी शिक्षा और कानूनी पेशे के इतिहास में एक ऐतिहासिक कदम होगा जो कानून और न्याय सम्बन्धी शिक्षा के क्षेत्र में बहुत मदद करेगा।
हम डॉक्टर अच्युत सामंत जी जैसे महान व्यक्ति के आभारी हैं, जिन्होंने हमारे प्रस्ताव को स्वीकार किया और अपने ट्रस्ट के माध्यम से इस संस्थान की स्थापना के लिए भुवनेश्वर में इतनी मूल्यवान ज़मीन प्रदान की, अन्य योगदान भी दे रहे हैं।
हाँ, डॉ सामंत वास्तव में मनुष्य के रूप में एक भगवान् हैं। आप सभी जानते हैं, डॉ सामंत ने विश्व स्तर के दो-दो विश्वविद्दालयों, मेडिकल, इंजीनियरिंग, प्रबंध, नर्सिंग, लॉ, कला समेत कई अन्य बड़े संस्थानों के संस्थापक हैं। लगभग 35000 आदिवासी छात्रों को प्रतिदिन कक्षा एक से लेकर स्नातकोत्तर तक मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के अलावा उनका खाना, कपड़ा, आवास सभी सुविधाएं और सेवाएं मुफ्त देते हैं। हमने दुनिया में ऐसे महान व्यक्ति के बारे में कभी नहीं देखा या सुना है, जो इस प्रकार की कठिन सेवा को इतनी सरलता से बखूबी करते आ रहे हैं। सामंता जी एक ऐसे व्यक्ति हैं जो अविवाहित रहे और उनके नाम पे ज़मीन या संपत्ति का एक भी टुकड़ा नहीं है। उनके पास जो कुछ भी है वे समाज, गरीब, व असहाय जनता और युवाओं के लिए हैं।
और ये सब उन्होंने अपनी पूर्ण आस्था, समर्पण एवं अथक प्रयासों के बल पर किया है। इसमें भगवान् जगन्नाथ असीम कृपा है और यही वजह है की बार कॉउंसिल ऑफ़ इंडिया ने एकमत से IIL जैसे अनोखे संसथान को स्थापित करने की पूर्ण ज़िम्मेदारी डॉ सामंत को सौंपने का संकल्प लिया है।