डीएलएफ का दूसरा दिन साहित्य प्रेमियों के लिए रहा रोमांचक

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देहरादून: देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल के चौथे संस्करण का दूसरा दिन आज दून इंटरनेशनल स्कूल, रिवरसाइड कैंपस में आयोजित किया गया। आज फेस्टिवल के दूसरे दिन के दौरान इम्तिआज़ अली, प्रह्लाद कक्कड़, पीयूष पांडे, जोनथन गिल हैरिस सहित कई अन्य प्रसिद्ध पैनलिस्टों के सत्र आयोजित किये गए ।

लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन का मुख्य आकर्षण इम्तिआज़ अली का एक दिलचस्प सत्र रहा। सत्र के दौरान इम्तिआज़ ने ऋचा अनिरुद्ध के साथ बातचीत करी। इस मौके पर इम्तिआज़ अली, समरांत विरमानी, वरुण गुप्ता, सुदीप मुख़र्जी द्वारा म्यूजिकल फिल्म ‘जीना अभी बाकी है’ की स्क्रीनिंग हुई।

दर्शकों को संबोधित करते हुए इम्तिआज़ ने कहा, “जब मैं जमशेदपुर में था, तो मुझे ज्यादा इंटरनेशनल लगता था लेकिन आज जब मैं मुंबई में हूँ और काफी जगह घूम रहा हूं तो मुझे एहसास होता है की में एक छोटे शहर से हूँ। हम जैसे छोटे शहरों से आने वाले लोग बहुत भाग्यशाली होते हैं। हमारी ज़रूरतें ज्यादा होती है और इसी वजह से हम सपने बड़े देखते हैं। हमें ऐसे लोगों से मिलने का मौका मिलता है जिनसे हम परिचित नहीं हैं। और जितने अधिक लोगों से आप मिलते हैं और जितनी अधिक जगहें आप घूमते हैं, आप उतने ही तजूर्बित होते जाते हैं।”

आगे बताते हुए इम्तिआज़ ने साझा किया, “मैं क्लास में चुपचाप बैठा रहता था और अपने शिक्षकों का चेहरा देखता रहता था, और पढाई में बिलकुल मन नहीं लगा पाता था। मैं 9वीं कक्षा में फेल हो गया था और फेल होने के बाद, मुझे स्कूल जाते समय शर्मिंदगी होती थी। मैं 4 दिनों तक स्कूल के गेट के बाहर खड़ा रहा था। 9वी कक्षा की इस असफलता ने मेरे दिमाग को खोल दिया। आखिरकार मैंने उन विषयों में महारत हासिल कर ली, जिनसे मैं पहले डरता था जैसे की भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित। मेरी ज़िन्दगी का एक और मानना है कि अगर कभी मेरे साथ कुछ बुरा या नकारात्मक होता है तो मैं आमतौर पर निराश नहीं होता। ऐसा इसलिए है क्योंकि मुझे पता होता है कि अंत में मैं निश्चित रूप से इससे कुछ अच्छा ही हासिल करूंगा।”

दिन के दौरान एक और दिलचस्प सत्र ‘चेंजिंग फेस ऑफ़ एडवरटाइजिंग’ का आयोजन किया गया जिसमें पीयूष पांडे और प्रह्लाद कक्कड़ ने काफी दिलचस्प बातों से मौजूद सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अपनी नई किताब ‘ओपन हाउस’ के बारे में बात करते हुए, पीयूष पांडे ने कहा, “यह किताब उन हजारों सवालों का जवाब है जो मुझसे हर उस जगह पर पूछे जाते थे जहां मैं जाता था, चाहे वह स्कूल हो या हवाई अड्डे हों। लेकिन उन पलों में उत्तर देना मुश्किल था। यह पुस्तक नई पीढ़ियों को इस तरह से प्रेरित करने का एक प्रयास है कि कुछ भी असंभव नहीं है यदि आप अपनी आंखें और कान खुले रखें और अपने दिल की आवाज़ सुनें।”

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विज्ञापन में लिंग विविधता पर टिप्पणी करते हुए, प्रह्लाद कक्कड़ ने कहा, “विज्ञापन एकमात्र ऐसा पेशा रहा है जहां महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अधिक सैलरी दी जाती है। महिलाओं में प्राकृतिक सौंदर्यशास्त्र होता है और वे मल्टीटास्किंग में भी अच्छी होती हैं। दूसरी ओर, पुरुषों में अहंकार की बहुत बड़ी समस्याएं होती है।

कार्यक्रम की शुरुआत ‘एवरीबडी हैस अ मिथ टू टेल’ शीर्षक एक सत्र से हुई जिसमें अक्षत गुप्ता और मिनी भारद्वाज मृगंक पांडे के साथ बातचीत में थे। अक्षत गुप्ता ने पांच फिल्म स्क्रिप्ट लिखी हैं और पुस्तक ‘द हिडन हिंदू’ के लेखक हैं।

सत्र के दौरान, अक्षत ने कहा, “मैंने अपनी किताब का नाम ‘द हिडन हिंदू’, एक हिंदू के पीछे रखा जो हजारों सालों से हमारे बीच छिपा था और जिसने खुद रामायण और महाभारत को देखा है। मेरे लिए इस पुस्तक को लिखना एक जीवन भर का अनुभव था और इससे कुछ भी मेल नहीं खाएगा क्यूंकि ये मैंने तब लिखना शुरू कर दिया था जब मुझे मेरे जीवन में सब ख़तम होता नज़र आ रहा था। इस पुस्तक और इस कहानी के विचार ने मुझे मेरे जीवन के सबसे बुरे दौर से बाहर निकाला है।”

इसके बाद आरती सुनावाला, अंजना बसु और नयनिका महतानी के बीच ‘स्टोरीज आर द ब्रिज टू आर्ट एंड कल्चर’ पर एक सत्र आयोजित किया गया। सत्र का संचालन चेतन वोहरा द्वारा किया गया।

डीएलएफ के दूसरे दिन हिंदी साहित्य पर कई सत्र आयोजित हुए। पहला सत्र प्रसिद्ध लेखक मदन शर्मा द्वारा ‘उन दिनों और चांद मुलकाते’ शीर्षक से आयोजित किया गया, जिसमें वे दिनेश चंद्र जोशी के साथ बातचीत में रहे। बाद में ‘चकरी चतुरंग’ पर एक सत्र आयोजित किया गया जिसमें ललित मोहन रायल के साथ मनोज पांडे ने वार्तालाब करी।

इस अवसर पर रणवीर सिंह चौहान की किताब ‘कुछ कहना था तुमसे’ का विमोचन भी किया गया। रणवीर सिंह चौहान, संजय अभिज्ञान और डॉ कृष्ण अवतार के बीच एक सत्र भी आयोजित किया गया जिसे अतुल पुंडीर द्वारा संचालित किया गया। सत्र में रणवीर ने कहा, “कविता या नज़्म कुछ सोच कर नहीं लिखी जाती, बल्कि जिस वक्त जो घटना घटती है, भाव एवं शब्द अपने आप जाते हैं, माध्यम आ जाते हैं और चीजों को देखने की दृष्टि पैदा हो जाती है।”

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लेखक जितेन ठाकुर, संजीव जैन, श्रीकांत शर्मा, सुभाष पंत और डॉ राजेश पाल के साथ हिंदी साहित्य को समर्पित अन्य सत्र आयोजित किए गए।

इसके बाद, करियर के प्रति उत्साही लोगों के लिए ‘कैरियर्स ऑफ़ द फ्यूचर’ नामक एक दिलचस्प सत्र आयोजित किया गया जिसमें ऋचा द्विवेदी, वासु एडा, अंकित गुप्ता और राहुल नार्वेकर ने दर्शकों से काफी दिलचस्प बातें साझा करी। सत्र का संचालन स्वरलीन कौर द्वारा किया गया। सत्र के दौरान अंकित ने फ्यूचर ट्रेंडिंग करियर ऑप्शंस के बारे में बात की। उन्होंने कहा, “सफल करियर वह है जहां कोई एक अद्वितीय प्रतिभा खोजने में सक्षम हो, और समझ सके कि वह इस प्रतिभा के साथ समाज में कैसे योगदान दे सकता है। प्रौद्योगिकी ने ज्ञान तक पहुंच के लिए क्षेत्र को समतल किया है और वह ज्ञान से जुड़े सभी उपकरण प्रदान भी करता। ऐसे करियर जो अधिक तकनीकी रूप से इच्छुक हैं जैसे कि यूटूबेर इन्फ्लुएंसर आदि करियर में ट्रेंडिंग विकल्प हैं।”

इसके बाद सत्र ‘ऑन द ट्रेल ऑफ बुद्धा एंड लैंड ऑफ गॉड्स’ आयोजित किया गया जिसमें दीपांकर अरोन और अर्जुन कादियान पैनेलिस्ट के रूप में उपस्थित रहे। सत्र का संचालन अनीषा गुप्ता द्वारा किया गया।

‘मसाला शेक्सपियर’ शीर्षक से एक दिलचस्प सत्र आयोजित किया गया जिसमें जोनथन गिल हैरिस ने सिद्धार्थ जैन के साथ बातचीत में रहे। कार्यक्रम का संचालन योगेश कुमार द्वारा किया गया। जोनाथन ने कहा, “मुझे लगता है कि शेक्सपियर का मनोरंजन ‘मसाला’ का एक रूप है क्योंकि यह बहुत ही सचेत रूप से एक मिश्रित दर्शक वर्ग है। यदि शेक्सपियर आज जीवित होते, तो वे मसाला सिनेमा के लिए लिख रहे होते, न कि हॉलीवुड या बॉलीवुड के लिए।”

इसके बाद, विश्वास परचुरे और आशीष जायसवाल द्वारा ‘क्यूरियोसिटी इन द क्लासरूम’ और शिव कुणाल वर्मा, अनिरुद्ध चक्रवर्ती और सना दुरानी द्वारा “वैकल्पिक शिक्षा” पर सत्र आयोजित किए गए। इस अवसर पर बोलते हुए, विश्वास ने कहा, “एक बच्चे के पास प्रति घंटे लगभग 106 प्रश्न होते हैं, और अधिकांश समय एक छात्र पूरे वर्ष कभी कोई प्रश्न नहीं पूछता है जिससे उसकी जिज्ञासा खत्म हो जाती है।”

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दर्शकों को संबोधित करते हुए, शिव कुणाल वर्मा ने कहा, “छात्र 1962 के युद्ध के बारे में, अपने देश के बारे में जानना चाहते हैं, लेकिन हम उन दर्शकों पर काम नहीं कर रहे हैं। हम कक्षा को शिक्षा के एक बहुत व्यापक स्पेक्ट्रम में तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। मेरा मानना ​​है कि हम हमारे बच्चों को वह नहीं दे रहे हैं जो उन्हें सीखने की जरूरत है।”

भारतीय सेना के पहले युद्ध-विकलांग अधिकारी मेजर जनरल इयान कार्डोज़ो के साथ एक सत्र आयोजित किया गया जहाँ उन्होंने रचना बिष्ट के साथ बातचीत करी। सत्र का संचालन गुरवीन चड्ढा द्वारा किया गया। इयान ने अपने सत्र के दौरान कहा, “हम में से हर कोई किसी न किसी चीज़ से डरता है। लेकिन सेना में हमें बताया जाता है कि भले ही हमें डर का सामान हर जगह करना पड़ सकता है लेकिन सेना में भर्ती लेकर हमारा काम डर पर विजय प्राप्त करना है। दर एक फैलने वाली बिमारी की तरह होता है। यदि अगर आप डरेंगे, तो आपके नीचे लोग भी डरने लगेंगे ।”

‘साइंस इन इंडिया’ नामक एक और सत्र का आयोजन किया गया जिसे हितेश शंकर और सबरीश द्वारा संचालित किया गया। एक और सत्र ‘सेक्स, डिज़ायर और कोर्ट’ भी आयोजित हुआ जो की सौरभ कृपाल और माधवी मेनन के बीच आयोजित किया गया।

‘द मुस्लिम वेनिशेस’ शीर्षक से एक सत्र आयोजित किया गया जिसमें सईद नकवी, अभिमन्यु कृष्णन के साथ बातचीत में रहे।एक और सत्र ‘इंडिया @2047’ आयोजित किया गया जिसमें किरण कार्णिक, सुभाष गर्ग के साथ बातचीत में रहे। सत्र का संचालन राकेश नांगिया ने किया।

उत्तराखंड पुलिस के डीजीपी अशोक कुमार (आईपीएस) द्वारा ‘ह्यूमन इन खाकी एंड खाकी में इंसान’ पर एक सत्र आयोजित किया। वह अमित लोधा आईपीएस के साथ बातचीत में रहे। कार्यक्रम के दौरान दीपम चटर्जी द्वारा ‘द मिलेनियल योगी’ नामक पुस्तक का विमोचन किया गया। ‘ग्रेट स्टोरीज़ हैपन टू दोस हु कैन टेल देम’ पर एक रोमांचक सत्र आयोजित किया गया जिसमें अभिनेत्री और कवित्री प्रिया मलिक ने विशाल चतुर्वेदी के साथ बातचीत करी।

देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन के अंत में रचना बिष्ट, एवीएम (सेवानिवृत्त) अर्जुन सुब्रमण्यम, गीता श्री, नमिता सिंह, सिद्धार्थ जैन और डॉ रूबी गुप्ता द्वारा सत्र आयोजित किए गए।

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