डॉ गौरव संजय ने विश्व हड्डी रोग कांग्रेस में सीपी पर एक पेपर प्रस्तुत किया

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देहरादून –   हाथ और पैरों का चलना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना हृदय और फेफड़ों का चलना। जीवन के हर चरण में गति महत्वपूर्ण है, हालांकि यह बचपन में अधिक महत्वपूर्ण होती है। स्वस्थ्य पैरों से चलना किसी भी बच्चे के सर्वांगींण विकास के लिए बहुत बढ़ा योगदान देता है। किसी भी व्यक्ति के जीवन में 70 प्रतिषत गतिविधियां दोनों पैरों से होती हैं। पैर षरीर की गति का केंद्र हैं। पैरों के स्वस्थ होने पर ही रक्त का प्रवाह सुचारू रूप से होता है, इसलिए जिन लोगों के पैर मजबूत होते हैं निष्चित रूप से उनका हृदय भी मजबूत होता है।

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सेरेब्रल पाल्सी (सीपी) का मतलब है मस्तिष्क का पक्षाघात। दूसरे शब्दों में मस्तिष्क का ठीक ढंग से काम ना करना। सीपी., विकृति के मुख्य कारणों में से एक है। सीपी सांस लेने में रुकावट के कारण होती है जो किसी भी कारण से जन्म के दौरान या बाद में हो सकती है।
संजय ऑर्थाेपीडिक, स्पाइन एंड मैटरनिटी सेंटर, देहरादून के इंडिया एवं इंटरनेषनल बुक रिकॉर्ड होल्डर ऑर्थाेपीडिक सर्जन डॉ. गौरव संजय ने 29 सितंबर 2022 को 42 वीं ऑर्थाेपीडिक वर्ल्ड कांग्रेस, कुआलालंपुर, मलेशिया में ”स्पास्टिक सेरेब्रल पाल्सी में ऑर्थाेपीडिक विकृतियों का सर्जिकल सुधार” पर एक षोध पत्र प्रस्तुत किया। इस अध्ययन में 2 से 24 वर्ष की आयु के 177 रोगियों को शामिल किया गया है। सीपी रोगी आमतौर पर विकृत पैरों और हाथों के साथ कैंची चाल के साथ चलते हैं और कई बार टेढ़ापन इतना होता है कि वह सहारे के साथ भी नहीं चल पाते हैं।
डॉ गौरव के रिसर्च पेपर सें निष्कर्ष निकाला कि लचीली विकृतियों को केवल मास और ऊतक सर्जरी से ठीक किया जा सकता है और कठोर विकृतियों को इलिजारोव फिक्सेटर से ठीक किया जा सकता है। डॉ गौरव के षोध से यह भी निष्कर्ष निकला कि एक घंटे की सर्जरी से जो परिणाम मिलते हैं वह एक वर्ष में फिजियोथेरेपी से नहीं। सर्जरी जितने जल्दी होती है, परिणाम उतने ही बेहतर होते हैं।

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