आर.के. विश्नोई, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड ने टीएचडीसी अमेलिया कोयला खदान परियोजना से कोयले की एतिहासिक पहली खेप के डिस्पैच को हरी झंडी दिखाई

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ऋषिकेश :   विद्युत क्षेत्र की अग्रणी कंपनी टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड ने अपने विकास पथ पर आगे बढ़ते हुए उस समय एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि अपने नाम कर ली है जब टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक  आर. के. विश्नोई ने मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में टीएचडीसी अमेलिया कोयला खदान, देवग्राम रेलवे साइडिंग से कोयले की पहली खेप को वस्तुत: हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

विश्नोई ने टीएचडीसी अमेलिया कोयला खदान परियोजना की टीम को बधाई देते हुए कहा कि यह समारोह टीएचडीसीआईएल के लिए एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि यह बिजली परियोजनाओं की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए अमेलिया कोयला खदान परियोजना से कोयला परिवहन की सफल शुरुआत का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि कोयला मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड को जनवरी-2017 में अमेलिया कोयला खदान का आबंटन किया गया था जिससे कि उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में टीएचडीसीआईएल के खुर्जा सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट की कोयला आवश्यकता को पूरा किया जा सके।

आर.के. विश्नोई, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ने कहा कि अमेलिया कोयला खदान का वाणिज्यिक प्रचालन निर्धारित समय से छह महीने पहले शुरू हो गया है जो कि एक विशिष्ट उपलब्धि है। इसके लिए उन्होंने अमेलिया कोयला खदान परियोजना में टीएचडीसी की टीम के समर्पित प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह उपलब्धि उनके समग्र समर्पण एवं उन्हें प्रदान किए गए रणनीतिक मार्गदर्शन का संयुक्त प्रमाण है जिसके परिणामस्वरूप यह शानदार सफलता प्राप्त हुई है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि खुर्जा परियोजना की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कोयले की सतत और विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करने में यह पहला कदम महत्वपूर्ण होगा।

यह कार्यक्रम  शैलेन्द्र सिंह, निदेशक (कार्मिक),  भूपेन्द्र गुप्ता, निदेशक (तकनीकी), श्री एल. पी. जोशी, कार्यपालक निदेशक (टिहरी काम्प्लेक्स), श्री अतुल जैन, कार्यपालक निदेशक (तकनीकी), श्री ए. बी. गोयल, कार्यपालक निदेशक(वित्त), श्री. ए.के. शर्मा, मुख्य महाप्रबंधक, अमेलिया कोयला खदान परियोजना की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ । इस अवसर पर टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
श्री विश्नोई ने कहा कि देश में कोयले की आवश्यकता को पूरा करने के लिए अमेलिया कोयला खदान परियोजना में श्री ए.के. शर्मा, मुख्य महाप्रबंधक (एसीएमपी) के नेतृत्व में टीम द्वारा 17 नवंबर, 2022 को खदान की शुरूआत की गई थी और यह 17 नवंबर, 2022 से प्रचालनीय है।

अमेलिया कोयला खदान की पीआरसी (पीक रेटेड क्षमता) 5.6 एमटीपीए है। अमेलिया कोयला खदान एमडीओ मोड (खदान विकासक सह ऑपरेटर) में चल रही है जिसके लिए मैसर्स एसीएमएल (अमीलिया कोल माइनिंग लिमिटेड) को खदान के विकास और प्रचालन के लिए एमडीओ के रूप में नियुक्त किया गया है। मैसर्स एसीएमएल, मैसर्स आदित्य बिरला समूह की एक शाखा ईएसएसईएल की सहायक कंपनी है।

विश्नोई ने कहा कि अमेलिया कोयला खदान से कोयले की पहली खेप डिस्पेच करना राष्ट्र की ऊर्जा सुरक्षा में योगदान देने में टीएचडीसीआईएल के प्रयासों में एक और महत्वपूर्ण कदम है। टीएचडीसीआईएल ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है जिसके लिए वह विविधतायुक्त रास्तों की तलाश कर रहा है और टिकाऊ समाधान कार्यान्वित कर रहा है।

इस अवसर पर  शैलेन्द्र सिंह, निदेशक (कार्मिक) ने कहा कि यह ऐतिहासिक उपलब्धि टीएचडीसीआईएल के कार्यबल के सहयोगात्मक प्रयासों और हितधारकों की प्रतिबद्धता का परिणाम है। श्री सिंह ने इस उपलब्धि पर स्थानीय जनता और स्थानीय प्रशासन के सकारात्मक योगदान की भी सराहना की। श्री भूपेन्द्र गुप्ता, निदेशक (तकनीकी) ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के साथ हम विकास के एक नए चरण की शुरुआत कर रहे हैं, जो भारत के लिए उज्जवल तथा और अधिक समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करेगा।

शैलेंद्र सिंह, निदेशक (कार्मिक) और श्री भूपेन्द्र गुप्ता, निदेशक (तकनीकी) ने अमेलिया कॉल माइन परियोजना के सभी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ परियोजना के अन्य हितधारकों यानी एनटीपीसी और बिरला समूह के साथ एक विस्तृत समीक्षा बैठक भी की, जिसमें परियोजना से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई।

टीएचडीसीआईएल 1587 मेगावाट की संस्थापित क्षमता प्राप्‍त कर देश का अग्रणी विद्युत उत्पादक है, उत्तराखंड में टिहरी बांध और एचपीपी (1000 मेगावाट), कोटेश्वर एचईपी (400 मेगावाट), गुजरात के पाटन में 50 मेगावाट और द्वारका में 63 मेगावाट की पवन ऊर्जा परियोजना, उत्तर प्रदेश के झांसी में 24 मेगावाट की ढुकुवां लघु जल विद्युत परियोजना और केरल के कासरगोड में 50 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाओं की सफलतापूर्वक कमीशनिंग को इसका श्रेय जाता है।

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