– ग्रेमी पुरस्कार विजेता जोड़ी वायलिन वादक गणेश कुमारेश के भव्य संगीत समारोह ने आयोजन में चार चाँद लगाए
– अतिथियों एवं श्रद्धेय दाजी के द्वारा मिशन की कई पुस्तकों का विमोचन किया गया
देहरादून – हार्टफुलनेस के मुख्यालय कान्हा शान्ति वनम में, जो हैदराबाद की बाहरी सीमा पर स्थित है – हार्टफुलनेस द्वारा पूज्य बाबूजी महाराज के 125 वें जन्मदिवस के उपलक्ष्य में आयोजित आठ दिवसीय भंडारे का शुभारम्भ किया गया। शुभारम्भ समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद और पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री एम्.वी. रामन्ना थे। हार्टफुलनेस के मार्गदर्शक और रामचंद्र मिशन के अध्यक्ष श्रद्धेय दाजी की अगुआई में आयोजित किये गए सामूहिक ध्यान सत्र में दोनों प्रमुख अतिथियों ने सहभागिता की। अग्रणी वायलिन वादक द्वय गणेश कुमारेश ने अपनी शानदार प्रस्तुति द्वारा ध्यान के आध्यात्मिक आनंद को विस्तार दिया। अद्भुत वायलिन वादक जोड़ी का मृदंगम पर श्री कुलुर जयचंद्र राव और घटम पर श्री त्रिची कृष्णा स्वामी साथ दे रहे थे| सुप्रसिद्ध गीतकार समीर अनजान ने भी श्रद्धेय दाजी पर स्वयं लिखे एक गीत द्वारा कार्यक्रम का आनंद बढ़ाया। 50,000 लोगों ने आयोजन में सीधे सहभागिता की जबकि विश्व भर में बड़ी संख्या में लोग वर्चुअल रूप से सहभागी हुए।
उदघाटन समारोह में बोलते हुए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी ने कहा, “पूज्य बाबू जी महाराज की 125वीं जयंती के इस पावन अवसर पर मैं प्रार्थना करता हूँ कि वे अपना आशीर्वाद हम सभी को प्रदान करें और ज्ञान और करुणा के साथ हमारा मार्गदर्शन करें। मेरा मानना है कि हम में से प्रत्येक को एक उद्देश्य के साथ यहाँ भेजा गया है। आइए हम में से प्रत्येक अपने जीवन काल में उस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए ईमानदारी और हार्दिक दृष्टिकोण के माध्यम से मार्ग पर चलते हुए यहाँ अपनी उपस्थिति दर्ज कराए।“
पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री एम्.वी. रामन्ना ने कहा, “मैं यहाँ आकर बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूँ और श्री राम चंद्र मिशन के शुरुआती मास्टर्स के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए श्रद्धेय दाजी को हार्दिक बधाई देता हूँ। आइए पूज्य बाबू जी महाराज की 125वीं जयंती के शुभ अवसर पर हम में से प्रत्येक बाबूजी महाराज के गुणों- करुणा, विनम्रता और समभाव को आत्मसात करने का संकल्प लें।
हार्टफुलनेस के मार्गदर्शक और रामचंद्र मिशन के अध्यक्ष श्रद्धेय दाजी ने कहा- “यह गुरु का निरंतर स्मरण ही है जो हमें सही रास्ते से भटकने से रोकता है। हमें अपने गुरुओं की शरण लेनी चाहिए क्योंकि वे परमात्मा तक पहुँचने के लिए सुनिश्चित माध्यम हैं। संगीत में रागों के माध्यम से हमें परमात्मा के करीब लाने की शक्ति है। पूज्य बाबू जी महाराज आज भी हम सभी को प्रेरित करते हैं। ऐसा कोई दिन नहीं होता जब उनकी प्रेरणा मुझे छू न ले। इसके अलावा गणेश-कुमारेश द्वारा एक भावपूर्ण संगीत प्रस्तुति निश्चित रूप से हमें गहराई से जाने में मदद करती है।“
इस कार्यक्रम में भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री एम. वी. रमन्ना एवं हार्टफुलनेस के मार्गदर्शक और श्री राम चंद्र मिशन के अध्यक्ष श्रद्धेय दाजी द्वारा संयुक्त रूप से पुस्तकों की एक श्रृंखला का विमोचन भी किया गया।
ये पुस्तकें हैं स्पिरिचुअल एनाटॉमी (हिंदी और गुजराती –सजिल्द), द विजडम ब्रिज (कन्नड़ और गुजराती – सजिल्द) जो श्रद्धेय दाजी द्वारा लिखित सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तकें हैं| इनके अलावा अन्य पुस्तकें हैं व्हिसपर्स फ्रॉम द ब्राइटर वर्ल्ड- 4 खंड, 1945-1955 (तमिल-सजिल्द), इन द लाइट अवेकनिंग (इंग्लिश – पेपरबैक संस्करण), मुद्रास (इंग्लिश और हिंदी – सजिल्द), द इटरनल आई (कन्नड़- पेपरबैक), यर्निंग ऑफ़ द हार्ट –वॉल्यूम-1 (गुजराती- सजिल्द), द ऑथेंटिक योगा (मराठी- सजिल्द), कम्पलीट वर्क्स ऑफ़ रामचन्द्र वॉल्यूम-1 (थाई – सजिल्द) और वॉइस रियल वॉल्यूम -1 ई-बुक- सरलीकृत और पारंपरिक चीनी भाषा में) लेखक पूज्य दाजी एवं अन्य।
प्रसिद्ध गीतकार श्री समीर अंजान जी ने इस शुभ अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा, “समर्पण ही उपलब्धि का एकमात्र तरीका है। दाजी के साथ यह मेरी दूसरी मुलाकात है और मैं उन्हें अपने यहाँ आने और उनके द्वारा बनाए गए स्वर्ग का गवाह बनने के अद्भुत अवसर के लिए पर्याप्त धन्यवाद नहीं दे सकता।“ उन्होंने श्रद्धेय दाजी को समर्पित एक सुंदर कविता भी बनाई और उसे भंडारे में प्रस्तुत किया, जो हजारों दर्शकों की आत्मा को छू गया।
पूज्य बाबूजी महाराज श्री रामचंद्र मिशन की गुरु परंपरा में दूसरे गुरु और वर्तमान सहस्त्राब्दी के महानतम आध्यात्मिक वैज्ञानिक थे। उनका गहन प्रभाव लोगों की व्यक्तिगत आध्यात्मिक यात्रा तक सीमित न रह कर बहुआयामी था और वे मानते थे कि भारत सदैव आध्यात्मिकता पालनस्थल रहा है, और यह आध्यात्मिकता ही है जिसमें सारे संसार को एकता के सूत्र में बाँधने की क्षमता है।
हार्टफुलनेस के बारे में: हार्टफुलनेस ध्यान और जीवन पद्धति में बदलाव के सरल अभ्यास प्रस्तुत करता है जिन्हें पहले बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में विकसित किया गया और 1945 में औपचारिक रूप से श्री रामचंद्र मिशन की शिक्षाओं में सम्मिलित किया गया। इनका उद्देश्य एक बार में एक करके हर हृदय में शान्ति, सुख और विवेक जागृत करना था। यह पद्धति योग का आधुनिक स्वरूप है और इसे संतोष, आंतरिक शान्ति, स्थिरता, समानुभूति, साहस और वैचारिक स्पष्टता के लिए तैयार किया गया है जो एक उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने का प्रथम चरण है। ये अभ्यास सरल और आसान है और पंद्रह वर्ष से अधिक आयु के किसी भी क्षेत्र, संस्कृति, धर्म, विश्वास और आर्थिक स्थिति के व्यक्ति द्वारा अपनाए जा सकते हैं। हजारों स्कूलों और कॉलेजों में सतत प्रशिक्षण के रूप में ये अभ्यास सिखाये जा रहे हैं और संसार भर में एक लाख से अधिक कॉर्पोरेट प्रोफेशनल, सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के कर्मचारी इस पद्धति से ध्यान कर रहे हैं। हार्टफुलनेस के पाँच हजार से अधिक केंद्र और कई हजार स्वयंसेवी प्रमाणित प्रशिक्षक और लाखों अभ्यासी 160 देशों में हैं।