– ‘हेल्थ हीरो ईयर’ – चारधाम यात्रा और आपदाओं में उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था रही मजबूत कवच
देहरादून – हिमालय सिर्फ़ पहाड़ों की श्रृंखला नहीं है, यह सहनशक्ति की परीक्षा है। वर्ष 2025 में उत्तराखंड ने इसी परीक्षा को स्वास्थ्य सेवाओं के मोर्चे पर पूरी मजबूती से पास किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के दिशा-निर्देशन में राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था ने वह कर दिखाया, जो अक्सर दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों में असंभव माना जाता है। चारधाम यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालुओं की धड़कनों की निगरानी हो या मॉनसून की विभीषिका में फंसी जिंदगियों को बचाने की चुनौती—स्वास्थ्य विभाग हर मोर्चे पर अग्रिम पंक्ति में खड़ा दिखा। यह कहानी केवल सरकारी उपलब्धियों की सूची नहीं है। यह उन डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल कर्मियों, एंबुलेंस ड्राइवरों और फील्ड स्टाफ की कहानी है, जिन्होंने बर्फ, बारिश, अंधेरे और जोखिम के बीच सेवा को अपना धर्म बनाया। वर्ष 2025, उत्तराखंड के लिए सिर्फ़ एक कैलेंडर वर्ष नहीं, बल्कि “हेल्थ हीरो ईयर” बनकर इतिहास में दर्ज हुआ।
आस्था के मार्ग पर स्वास्थ्य सुरक्षा का अभेद्य कवच
वर्ष 2025 की चारधाम यात्रा ने नया रिकॉर्ड बनाया। केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में 47 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे। इतनी बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करना किसी सैन्य अभियान से कम नहीं था। इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने यात्रा शुरू होने से पहले ही बहुस्तरीय रणनीति तैयार की। यात्रा से पूर्व 13 भाषाओं में हेल्थ एडवाइजरी जारी की गई, जिसमें हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज़, ऊँचाई से जुड़ी बीमारियों और आपात स्थितियों में सावधानियों की जानकारी दी गई। यह कदम पूर्व वर्षों की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत अधिक प्रभावी साबित हुआ। देहरादून, हरिद्वार, टिहरी और पौड़ी को ट्रांजिट मेडिकल हब के रूप में विकसित किया गया, ताकि यात्रा से पहले ही यात्रियों की स्क्रीनिंग और काउंसलिंग हो सके।
49 स्थायी इकाइयाँ, 20 मोबाइल रेस्पॉन्स पोस्ट
चारधाम यात्रा मार्ग पर स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए 49 स्थायी चिकित्सा इकाइयों को सक्रिय किया गया। इनके साथ 20 मोबाइल रेस्पॉन्स पोस्ट (MRP) तैनात रहीं, जो दुर्गम और जोखिम भरे मार्गों पर तत्काल चिकित्सा सहायता देती रहीं। स्क्रीनिंग कियोस्क की संख्या 50 से बढ़ाकर 57 की गई। हरिद्वार-ऋषिकेश में दो-दो नए कियोस्क और पौड़ी के विकासनगर व कलियासौड़ में एक-एक नया कियोस्क स्थापित किया गया। इन केंद्रों पर कुल 10,69,792 यात्रियों की स्वास्थ्य जांच की गई, जिनमें 28,323 सह-रोगी (को-मॉर्बिड) चिन्हित हुए। समय रहते काउंसलिंग और दवाइयों ने कई संभावित आपात स्थितियों को टाल दिया।
बर्फीली ऊँचाइयों पर आधुनिक चिकित्सा की जीत
केदारनाथ धाम में शुरू हुआ 17 बेड का अत्याधुनिक अस्पताल यात्रा 2025 की सबसे बड़ी उपलब्धियों में रहा। ऑक्सीजन थेरेपी, आईसीयू और इमरजेंसी सुविधाओं से लैस इस अस्पताल ने सैकड़ों श्रद्धालुओं को नया जीवन दिया। मानव संसाधन की बात करें तो स्थानीय स्तर पर 31 विशेषज्ञ डॉक्टर, 200 चिकित्सा अधिकारी और 381 पैरामेडिकल कर्मी तैनात रहे। रोस्टर सिस्टम के तहत अन्य जिलों से 24 डॉक्टर, 47 विशेषज्ञ और 35 पैरामेडिकल स्टाफ की अतिरिक्त तैनाती की गई। भारत सरकार से 40 विशेषज्ञ और राज्य मेडिकल कॉलेजों से 10 डॉक्टर भी इस मिशन में शामिल रहे। यह वास्तव में एक नेशनल हेल्थ ब्रिगेड थी, जो 24×7 अलर्ट मोड पर काम कर रही थी।
आंकड़ों में दिखती सेवा
चारधाम यात्रा 2025 के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं का दायरा आंकड़ों में भी साफ झलकता है—
कुल ओपीडी मरीज: 4,78,189
को-मॉर्बिड ओपीडी: 23,383
दुर्घटना में घायल मरीज: 8,450
इमरजेंसी केस: 51,719
एम्बुलेंस रेफरल: 963
हेलीकॉप्टर रेफरल: 43
मेडिकल काउंसलिंग: 7,376
यात्रा न करने की सलाह: 108
इसके अलावा, यात्रा मार्ग पर 154 एंबुलेंस (82 विभागीय और 72 ‘108’ सेवा से) तैनात रहीं। AIIMS ऋषिकेश की हेली-एम्बुलेंस ने 43 गंभीर मरीजों को समय रहते उच्च चिकित्सा केंद्रों तक पहुंचाया। ‘104 हेल्थ हेल्पलाइन’ पर 32,242 कॉल्स अटेंड की गईं।
जागरूकता का मजबूत नेटवर्क
स्वास्थ्य विभाग ने केवल इलाज तक खुद को सीमित नहीं रखा। होटलों, धर्मशालाओं और घोड़ा-खच्चर संचालकों के लिए हाई-रिस्क अलर्ट वर्कशॉप आयोजित की गईं। उन्हें हृदयाघात, सांस की तकलीफ और ऊँचाई संबंधी लक्षण पहचानने का प्रशिक्षण दिया गया। यात्रा मार्ग पर बड़े-बड़े फ्लेक्स, डिजिटल स्क्रीन और होर्डिंग्स के माध्यम से IEC अभियान चलाया गया “यात्रा से पहले चेकअप, जिंदगी का पहला कदम” जैसे संदेश लगातार लोगों को जागरूक करते रहे।
तबाही के बीच उम्मीद की चिकित्सा
चारधाम यात्रा के साथ-साथ मॉनसून ने भी स्वास्थ्य विभाग की परीक्षा ली। उत्तरकाशी के धराली में बादल फटना, चमोली के थराली में भूस्खलन, बागेश्वर और रुद्रप्रयाग में बाढ़—हर आपदा में स्वास्थ्य टीमें मौके पर डटी रहीं। राज्य और जिला स्तर की आपदा प्रबंधन स्वास्थ्य कार्ययोजना के तहत स्वास्थ्य नोडल अधिकारियों का आपदा विभाग से सीधा समन्वय रहा। प्रभावित क्षेत्रों में 50 से अधिक मोबाइल मेडिकल कैंप लगाए गए। गंभीर घायलों को हेली-एम्बुलेंस से AIIMS ऋषिकेश और दून मेडिकल कॉलेज पहुंचाया गया।
‘वल्नरेबल केयर’ बना जीवन रक्षक
आपदाओं के दौरान बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों, दिव्यांगों और क्रॉनिक पेशेंट्स के लिए ‘वल्नरेबल केयर प्रोटोकॉल’ लागू किया गया। बागेश्वर बाढ़ में 200 से अधिक हाई-रिस्क व्यक्तियों को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया और विशेष आइसोलेशन वार्ड में रखा गया। साथ ही, रेडियो, सोशल मीडिया और ग्राम सभाओं के माध्यम से प्रारंभिक चेतावनी संदेश और डिजास्टर रेडीनेस किट का वितरण किया गया, जिससे प्राथमिक उपचार की जानकारी घर-घर तक पहुंची।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बयान
“वर्ष 2025 में उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग ने जो कार्य किया है, वह केवल प्रशासनिक सफलता नहीं, बल्कि मानवीय सेवा की मिसाल है। चारधाम यात्रा जैसे विशाल आयोजन और प्राकृतिक आपदाओं की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में स्वास्थ्य कर्मियों ने तत्परता, संवेदनशीलता और समर्पण के साथ लाखों श्रद्धालुओं व नागरिकों की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित की। दुर्गम भौगोलिक हालात के बावजूद जिस तरह डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ और आपदा राहत दलों ने दिन-रात सेवा दी, वह पूरे राज्य के लिए गर्व का विषय है। 2025 को हम ‘हेल्थ हीरो ईयर’ के रूप में याद रखेंगे। सरकार का संकल्प है कि 2026 में डिजिटल हेल्थ नेटवर्क, टेलीमेडिसिन, ड्रोन आधारित मॉनिटरिंग और एआई-आधारित आपदा पूर्वानुमान प्रणाली को और मजबूत कर उत्तराखंड को स्वास्थ्य सुरक्षा के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में स्थापित किया जाए।”
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का बयान
“चारधाम यात्रा और आपदा प्रबंधन के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती हमारे सतत प्रयासों का परिणाम है। समय पर स्क्रीनिंग, आधुनिक चिकित्सा इकाइयों, प्रशिक्षित मानव संसाधन और मजबूत रेफरल सिस्टम ने सैकड़ों जिंदगियों को बचाया। हमारा लक्ष्य केवल उपचार नहीं, बल्कि रोकथाम और जागरूकता भी है। 2026 में हम प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं, टेलीमेडिसिन और आपदा-पूर्व तैयारी को और सशक्त करेंगे, ताकि हर नागरिक को समय पर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा मिल सके।”
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार का बयान
“2025 स्वास्थ्य विभाग के लिए परीक्षा का वर्ष था और हमारी टीम उस पर खरी उतरी। चारधाम यात्रा हो या आपदाएं, हर स्थिति में 24×7 सेवा देना संभव हुआ। समय पर इलाज से बचीं सैकड़ों जिंदगियां ही हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि हैं। यह स्वास्थ्य गाथा बताती है कि जब नीति, नेतृत्व और मानवीय संवेदना एक साथ काम करें, तो हिमालय जैसी चुनौतियाँ भी झुक जाती हैं। चारधाम यात्रा और आपदाओं के बीच बचाई गई हर सांस, हर जीवन—यही 2025 की सबसे बड़ी उपलब्धि है। यह कहानी केवल आज की नहीं, बल्कि आने वाले वर्षों के लिए प्रेरणा है। 2026 में ड्रोन-आधारित निगरानी, एआई सपोर्टेड सिस्टम और तकनीक आधारित स्वास्थ्य सेवाओं से हम और अधिक तैयार रहेंगे।”









