देहरादून-सूबे में सरकारी शिक्षा की गुणवत्ता सुधार की दिशा में प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार ने एक संकल्प के साथ जो कदम उठाए हैं वह प्राथमिक तो रहे ही, साथ ही प्रभावी भी रहे। प्रयासों के परिणाम सुखद रहे और प्रदेश भर में उनकी सराहना हो रही है। उन्होंने पहले शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ मजबूत की। यानी स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों पर भर्तियां की गई। और अब बेहतर परिणाम सबके सामने हैं।
हाल के दशकों में सरकारी शिक्षा के स्तर में जो गिरावट आई वह सर्वविदित है। कारण चाहे जो भी रहे हों लेकिन पूर्व में हुए शिक्षा सुधार के प्रयास उथले ही साबित हुए। कहा जाता है कि किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रयास ही प्रर्याप्त नहीं होते, इच्छा शक्ति का होना भी बहुत जरूरी होता है। और व्यवस्था में सुधार के लिए इंतजामों का पुख्ता होना भी नितांत जरूरी।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जब प्रदेश की सत्ता संभाली तो हालात कतई अच्छे नहीं थे। लेकिन सीएम त्रिवेंद्र ने दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाते हुए स्कूली शिक्षा की बेहतरी के लिए जरूरी क्या है इसकी पड़ताल की। सबसे पहले बुनियादी इंतजामों का पुख्ता किया। उसमें शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति को प्राथमिकता में रखा। और प्रदेश के इंटरमीडिएट कालेजों में प्रवक्ता के 1353 पद भरे गए। इसके अलावा माध्यमिक स्तर पर सहायक शिक्षकों के 1875 पदों पर नियुक्तियां हुई और प्राथमिक स्कूलों के 1881 पदों पर शिक्षकों की नियुक्तियां की गई। अब अधिकांश स्कूलों में स्वीकृति के अनुरूप शिक्षक तैनात हैं। त्रिवेंद्र सरकार के इस प्रयास से उत्तराखंड की सरकारी शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव आए। इस जमीनी प्रयास से बदतर होती सरकारी शिक्षा अब बेहतर होने लगी है।
शिक्षक ही शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ होते हैं। त्रिवेंद्र सरकार ने इस रीढ़ को मजबूत कर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में सराहनीय कदम उठाए हैं। जमीनी प्रयासों के साथ सीएम त्रिवेंद्र की दृढ़ इच्छा शक्ति की भी खूब सराहना हो रही है।