नई दिल्ली – राष्ट्रीय सैनिक संस्था और शहीद भगत सिंह सोशल वेलफेयर सोसाइटी ने आज जंतर मंतर पर अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद जी के 91 बलिदान दिवस पर पुष्पांजलि दी राजीव जोली खोसला ने बताया कि किस प्रकार चंद्रशेखर आजाद ने अपने आप को गोली मारकर शहीद हो गए हितेश शर्मा ने चंद्रशेखर आजाद जी की वेशभूषा में चंद्रशेखर आजाद जी की गाथा को जंतर मंतर पर बयान किया जिसे सभी देख कर दंग रह गए इंदरजीत सिंह आज अष्ट और सरदार परमजीत सिंह पाम्मा जी ने भी गरम दल क्रांतिकारी वीरों को शहीदी का दर्जा देने की मांग की फ़रवरी, 1931 के दिन चन्द्रशेखर आज़ाद अपने साथी सुखदेव राज के साथ बैठकर विचार–विमर्श कर रहे थे कि तभी वहां अंग्रेजों ने उन्हें घेर लिया. चन्द्रशेखर आजाद ने सुखदेव को तो भगा दिया पर खुद अंग्रेजों का अकेले ही सामना करते रहे. अंत में जब अंग्रेजों की एक गोली उनकी जांघ में लगी तो अपनी बंदूक में बची एक गोली को उन्होंने खुद ही मार ली और अंग्रेजों के हाथों मरने की बजाय खुद ही आत्महत्या कर ली. कहते हैं मौत के बाद अंग्रेजी अफसर और पुलिसवाले चन्द्रशेखर आजाद की लाश के पास जाने से भी डर रहे थे.चंद्रशेखर आज़ाद को वेष बदलने में बहुत माहिर माना जाता था. वह रुसी क्रांतिकारियों की कहानी से बहुत प्रेरित थे. चन्द्रशेखर आजाद की वीरता की कहानियां कई हैं जो आज भी युवाओं में देशप्रेम की लहर पैदा कर देती हैं. देश को अपने इस सच्चे वीर स्वतंत्रता सेनानी पर हमेशा गर्व रहेगा. बाकी संस्था के सदस्य मौजूद थे त्रिलोचन सिंह ,संध्या इंदौरा, सुरजीत सिंह, अमन परवाना ,राजेश्वरी, रूप सिंह गोसाई, परमजीत कौर संधू सभी का एक ही नारा था जब तक सूरज चांद रहेगा चंद्रशेखर आजाद तेरा नाम रहेगा