माननीय राज्यपाल ले. जन. गुरमीत सिंह जी करेंगे उद्घाटन
स्वामी रामदेव जी, स्वामी कैलाशानन्दजी, स्वामी चिदानंद जी समारोह में करेंगे शिरकत
नई दिल्ली / देहरादून – अहिंसा विश्व भारती व विश्व शांति केन्द्र के संस्थापक आचार्य डॉ लोकेशजी के 40वें दीक्षा दिवस पर उत्तराखंड के राजभवन में “प्रकृति व संस्कृति के संरक्षण में संतों का योगदान” विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 8 अक्टूबर 2022 शनिवार को प्रातः 10.00 बजे किया गया है। जिसका उदघाटन उत्तराखण्ड के राज्यपाल माननीय ले. जनरल गुरमीत सिंह करेंगे। राष्ट्रीय संगोष्ठी में पतंजलि योगपीठ के संस्थापक योगऋषि स्वामी रामदेव जी, निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानन्दजी, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वतीजी भाग लेंगे।
उल्लेखनीय है कि प्रखर चिंतक, लेखक एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रख्यात जैनाचार्य डॉ लोकेशजी 08 अक्तूबर सन 1983 को 22 वर्ष की युवावस्था में भौतिक सुख-सुविधाओं को त्यागकर जैन सन्यासी बने थे। वे पिछले 39 वर्षों से राष्ट्रीय चरित्र निर्माण, माननीय मूल्यों के उत्थान तथा समाज में अहिंसा, शांति, सद्भावना के संवर्धन के लिए निरंतर प्रयत्नशील हैं, उनके नेतृत्व में अहिंसा विश्व भारती संस्था द्वारा कन्या भ्रूण हत्या, नशाखोरी एवं पर्यावरण प्रदूषण के खिलाफ सफलतापूर्वक महाभियान चलाया जा रहा है। उनके द्वारा भारत के पहले विश्व शांति केंद्र का निर्माण हालही में गुरुग्राम में शुरू हुआ है।
कार्यक्रम के संयोजक कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी, समन्वयक श्री संजय मित्तल एवं श्री सतीश अग्रवाल ने बताया कि समारोह की तैयारियां पूरी कर ली गयी है। समारोह में भाग लेने के लिए अमेरिका के न्यू जर्सी से अहिंसा विश्व भारती फ़ाउंडेशन यूएसए के चेयरमेन श्री अनिल मोंगा तथा मुंबई से विश्व शांति केंद्र ट्रस्टी श्री सौरव बोरा सहित देश के विभिन्न भागो से विशिष्ट महानुभाव पहुँच रहे है।
अहिंसा विश्व भारती व विश्व शांति केंद्र के संस्थापक आचार्य डॉ लोकेशजी ने कहा कि धर्म,अध्यात्म,भारतीय संस्कृति व जीवन मूल्यों को वैश्विक स्तर पर गौरवान्वित करने में संतों व महात्माओं ने सदैव महत्वपूर्ण योगदान दिया है । उन्होंने कहा कि प्रकृति व संस्कृति के संरक्षण में विश्व स्तरीय योगदान देने वाली संस्था को इस अवसर पर “अहिंसा इंटरनेशनल अवार्ड” से सम्मानित किया जाएगा।