राज्यपाल ले. जन. गुरमीत सिंह ने “प्रकृति व संस्कृति के संरक्षण में संतों का योगदान” राष्ट्रीय संगोष्ठी का किया उद्घाटन

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उत्तराखण्ड के राजभवन में आचार्य लोकेशजी के 40वें दीक्षा दिवस पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

स्वामी रामदेव जी, स्वामी अवद्वैतानन्द जी, स्वामी चिदानंद जी ने राष्ट्रीय संगोष्ठी में शिरकत की

देहारादून / नई दिल्ली –   अहिंसा विश्व भारती व विश्व शांति केन्द्र के संस्थापक आचार्य डॉ लोकेशजी के 40वें दीक्षा दिवस पर उत्तराखंड के राजभवन में “प्रकृति व संस्कृति के संरक्षण में संतों का योगदान” विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया । संगोष्ठी का उदघाटन उत्तराखण्ड के राज्यपाल माननीय ले. जनरल गुरमीत सिंह ने किया । इस समारोह में पतंजलि योगपीठ के संस्थापक योगऋषि स्वामी रामदेव जी, महामंडलेश्वर स्वामी अवद्वैतानन्द जी, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वतीजी ने समारोह में भाग लेकर आचार्य डॉ लोकेशजी को 40वें दीक्षा दिवस की शुभकामनाएँ दी ।

उत्तराखण्ड के राज्यपाल माननीय ले. जनरल गुरमीत सिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति में प्रकृति की सदैव पुजा की है हमारे यहाँ पर पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, वनस्पति को भी पुजा गया है। उन्होने कहा भगवान महावीर, गुरु नानक देव जी आदि सभी महापुरुषों ने प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण का संदेश दिया। मुझे खुशी है कि आज राजभवन में एक ऐसे संत के दीक्षा दिवस पर समारोह आयोजित हुआ है, जिन्होने अपना पूरा जीवन प्रकृति और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए समर्पित कर रखा है।

राज्यपाल ने आचार्य लोकेशजी के जीवन और कार्यों से संबंधित “लिविंग विथ पर्पस” पुस्तक की प्रथम प्रति का अनावरण करते हुए कहा कि आचार्य लोकेशजी का जीवन युवा पीढ़ी के लिए प्रेरक है, उन्होने आशा व्यक्त कि उनके द्वारा स्थापित हो रहे विश्व शांति केंद्र के माध्यम से पूरी दुनिया में प्रकृति व संस्कृति की सुरक्षा के साथ-साथ अहिंसा, शांति और सद्भावना का संदेश प्रसारित होगा।

राज्यपाल माननीय ले. जनरल गुरमीत सिंह ने इस अवसर पर अहिंसा विश्व भारती की ‘एंबेसडर ऑफ पीस’ पुस्तक की प्रथम प्रति एवं विश्व शांति केंद्र के विवरणिका का अनावरण किया।

पतंजलि योगपीठ के संस्थापक योगऋषि स्वामी रामदेव जी ने विश्व में शांति व सद्भावना स्थापित करने के लिए आचार्य लोकेश के समर्पण, मानवता के प्रति उनकी निष्ठा व भावना न सिर्फ अहिंसा, शांति व सद्भावना के संदेश को विश्व में आगे बढ़ा रही है बल्कि वह विश्व भर में भारतीय संस्कृति की पहचान को जीवित रखने कार्य कर रहे है ।

महामंडलेश्वर स्वामी अवद्वैतानन्द जी ने कहा कि आचार्य लोकेशजी का आभा मण्डल इतना सकारात्मक है जिससे वे देश-विदेश में प्राचीन भारतीय संस्कृति की अलख को जगाने का अभूतपूर्व कार्य कर रहे है। उनके द्वारा प्रकृति व संस्कृति के संरक्षण के लिए किए जा रहे मानवतावादी कार्यों को देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी सराहा जा रहा है जिस पर हम सभी को गर्व की अनुभूति हो रही है।

स्वामी चिदानंद सरस्वतीजी ने कहा कि प्रकृति के संरक्षण, भारतीय संस्कृति, अहिंसा व अनेकांत के दर्शन को पूज्य आचार्य डॉ लोकेशजी पिछले 39 वर्षो से विश्व भर में जन-जन तक पहुंचाने में निरंतर प्रयासरत है| सभी धर्मों में समन्वय के लिए उनके प्रयास अनूठे है।

विश्व शांतिदूत आचार्य डॉ लोकेशजी ने कहा कि भारतीय संस्कृति प्राचीनतम एवं महान संस्कृति है, सर्वधर्म सद्भाव जिसका मूलमंत्र है, भारतीय होने के नाते अपने देश की महान संकृति एवं वसुधेव कुटुंबकम के संदेश को विश्व भर में फैलाना गौरव का विषय है । उन्होने हालहि में अपनी अमेरिका की शांति सद्भावना यात्रा के अनुभव भी साझा करते हुए बताया कि अपनी इस यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से गन हिंसा से जूझ रहे अमेरिका को समस्या के समाधान के लिए स्कूल शिक्षा में पीस एजुकेशन (वेल्यू बेस्ड एजुकेशन) को लागू करने की सलाह दी जिससे अमेरिकी राष्ट्रपति काफी प्रभावित हुए।

इस अवसर पर मुम्बई से समागत सौरभ बोरा ने स्वागत भाषण दिया एवं धन्यवाद ज्ञापन अमेरिका अहिंसा विश्व भारती फ़ाउंडेशन के अध्यक्ष श्री अनिल मोंगा ने दिया। कार्यक्रम का संचालन मुख्य रूप से कर्नल टीपी त्यागी ने किया। श्री सतीश अग्रवाल एवं श्री संजय मित्तल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विशेष रूप से कार्यक्रम में सहयोग किया। इस अवसर पर, जीडी गोयनका स्कूल की अध्यापिका सुश्री तारकेशवरी मिश्रा, मोटीवेशनल स्पीकर श्री साजन शाह, श्री विनीत कुमार एवं काफी संख्या में महानुभाव उपस्थित रहे।

 

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