देहरादून – (VOICE OF UTTARAKHAND) सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ एवं एस आकाश द्वारा बांसुरी वादन प्रस्तुत कियागया। जिसमे उन्होंने राग गोरख कल्याण के साथ आलाप से शुरुआत की, उसकेबाद उन्होंने कुछ मधुर पहाड़ी धुन सुनाकर बैठे हर श्रोता का मन जीत लिया। फिरउन्होंने मध्यलय में झप ताल बंदिश रखी और उसके बाद द्रुत तीन ताल प्रस्तुत किया।बांसुरी के उनके मधुर गायन में गायकी अंग के साथ वादन में तबला (शुभ महाराज)द्वारा प्रस्तुति में उनका साथ दिया गया ।
भारतीय शास्त्रीय संगीत में कईविलक्षणताएं हैं और आकाश उनमें से एक है। उन्होंने 8 साल की छोटीउम्र से बड़े मंच पर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था। वे बैंगलोर से हैं और पहले हीदेश भर में विभिन्न संगीत कार्यक्रमों में प्रदर्शन कर चुके हैं। उनका प्रारंभिकप्रशिक्षण पं. वेंकटेश गोडखिंडी, प्रसिद्ध बांसुरीवादक के अधीन था। आकाश,अपनेचचेरे भाई से प्रभावित थें । उन्होंने गुलाम अब्बास खान और कश्यप भाइयों जैसेअनुभवी शास्त्रीय संगीतकारों की भूमिका निभाई है। आकाश कई वर्षों से बांसुरी वादकरोनू मुजुमदार के अधीन हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण ले रहे हैं। वेपंडित भीमसेन जोशी, उनके गुरु रोनू मजूमदार और पंडित जसराज सहित कईअन्य लोगों से प्रभावित हैं।
जब वे काफी छोटे थे तब उन्हें आइडियाजलसा संगीत प्रतिभा पुरस्कार मिला था एवं इसके बाद भी उन्होंने कई लोकप्रियपुरस्कार जिता है जिसमें उन्होंनेप्रतिष्ठित एम.एस.सुब्बुलक्ष्मी फेलोशिप जीती, शनमुख संगीतशिरोमणि पुरस्कार, सुर ज्योत्सना राष्ट्रीय पुरस्कार शामिलहै। उन्होंने जर्मनी और कई अन्य देशों मेंप्रदर्शन किया है एवं वे पियानो भी बजाते है लेकिन उनका पहला प्यार बांसुरी हीरहता है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्यप्रस्तुति में वडाली ब्रदर्स ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया, वडालीब्रदर्स के एक झलक पाने के लिए डॉ. बी. आर. अंबेडकर स्टेडियम में हजारो कि संख्यामें लोग पहुचें एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद लिया। वडाली ब्रदर्स सूफी संत,रोमांटिकलोक गीत, ग़ज़ल, भजन और भांगड़ा पर अपनी प्रसतुतियां दी।उन्होंने अपनी प्रस्तुति कि शरूआत अपनी प्रतीति की शुरुवात कृपा करो महाराज भजन कीअद्भुत प्रस्तुति से की एवं उन्होंने अपने प्रसिद्ध गीत, नज़र, तूमाने या न माने, मस्त नज़रों से, तेरे इश्क नाचयाऔर भी बहुत कुछ प्रस्तुतियां दी।
संगत में कलाकार कीबोर्ड पर मुनीशकुमार, रोहित और विशाल, ढोलक-राकेश कुमार, तबला-असलम, व्बजवचंक.-राजिंदर कुमार बब्बू, लीड गिटार-डेनिश,बेसगिटार -केशव धश्मना, ढोल-प्यारी, जैज ड्रम-गौर,बैकवोकलिस्ट -अजय, सुभाष, गगन और विक्की थें।
वडाली ब्रदर्स, पंजाब के सूफीगायकों की एक प्रसिद्ध जोड़ी है जो मूल रूप से पूरनचंद जी और उनके छोटे भाईप्यारेलालजी से मिलकर बना है। पूरनचंद जी ने अपनी संगीत की शिक्षा पटियाला घरानेके पंडित दुर्गा दास और उस्ताद बड़े गुलाम अली खान जैसे प्रसिद्ध आचार्यों सेप्राप्त की। उन्होंने अपने बेटे लखविंदर को व्यापक शास्त्रीय संगीत प्रशिक्षण औरमार्गदर्शन प्रदान किया है। उनके प्रदर्शनों की सूची में सूफी संत, रोमांटिकलोक गीत, ग़ज़ल, भजन और भांगड़ा शामिल हैं, आलापऔर तान उनके संगीत के महत्वपूर्ण पहलू हैं। वे अपने पुश्तैनी घर, गुरुकी वडाली में रहते हैं, और उन लोगों को संगीत सिखाते हैं जो इसेसंरक्षित करने का वादा करते हैं। वे अपने छात्रों से शुल्क नहीं लेते हैं औरपरमात्मा को समर्पित बहुत ही सरल जीवन जीते हैं।
09 अक्टूबर से 23 अक्टूबर 2022 तकचलने वाला यह फेस्टिवल लोगों के लिए एक ऐसा मंच है जहां वे शास्त्रीय संगीत एवंनृत्य के जाने-माने उस्तादों द्वारा कला, संस्कृति और संगीत का बेहद करीब सेअनुभव कर सकते हैं। इस फेस्टिवल में परफॉर्म करने के लिये नामचीन कलाकारों कोआमंत्रित किया गया है। इस फेस्टिवल में एक क्राफ्ट्स विलेज, क्विज़ीन स्टॉल्स,एकआर्ट फेयर, फोक म्यूजिक, बॉलीवुड-स्टाइलपरफॉर्मेंसेस, हेरिटेज वॉक्स, आदि होंगे। यहफेस्टिवल देश भर के लोगों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और उसके महत्व केबारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त करने का मौका देता है। फेस्टिवल का हरपहलू, जैसे कि आर्ट एक्जिबिशन, म्यूजिकल्स, फूड और हेरिटेज वॉक भारतीय धरोहर से जुड़े पारंपरिकमूल्यों को दर्शाता है।