-मेरे पुत्र विजय वात्सल्य की हत्या की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने के लिए मैं देहरादून पुलिस को धन्यवाद देता हूं।
देहरादून- मेरे बेटे विजय वात्सल्य की हत्या में शामिल सभी लोगों को कठोर से कठोर सजा मिलनी चाहिए। साथ ही साथ मेरे पुत्र विजय वात्सल्य की हत्या की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने के लिए मैं देहरादून पुलिस को धन्यवाद देता हूं। मृतक विजय वात्सल्य के पिता प्रमोद कुमार वात्सल्य अपने पुत्र की मृत्यु की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए दर-दर ठोकरें खा रहे थे। बताते चलें कि प्रमोद कुमार वात्सल एक 84 साल के बुजुर्ग हैं जिन्होंने अपना हौसला बनाए रखा और अपने पुत्र की मृत्यु की जांच की मांग करते हुए लगभग 1 महीने से ऊपर देहरादून के थानों एवं प्रशासन के चक्कर काट रहे थे इस दौरान वे विभिन्न मंत्रियों एवं पूर्व मुख्यमंत्रियों से भी मुलाकात की परंतु प्रथम सूचना रिपोर्ट अब दर्ज हुआ है। प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने के लिए उन्होंने देहरादून पुलिस को धन्यवाद दिया है साथ ही साथ प्रमोद वात्सल्य यह मांग भी कर रहे हैं कि जो जो लोग मेरे पुत्र की हत्या में शामिल है उन सभी को सलाखों के पीछे लाया जाए एवं सभी से पूछताछ की जाए, आखिरकार मेरे पुत्र का क्या कसूर था जिस कारण इन सभी लोगों ने मिलकर मेरे पुत्र की हत्या कर दी।
मेरे लाख मना करने पर भी मेरे पुत्र के अंतिम संस्कार में हिंदू रीति-रिवाजों के विपरीत जाकर मेरी बहू सुनीता वात्सल्य एवं सुनीता का भतीजा आदित्य अपने गोंडा गैंग के सहारे आनन-फानन में नालापानी के श्मशान घाट पर मेरे पुत्र के शव को जबरदस्ती आग लगा दिया, वहीं पर देहरादून से संचालित होने वाले फिक्की फ्लो नाम की संस्था से जुड़ी हुई महिला नेहा शर्मा जो फिक्की फ्लो देहरादून की चेयर पर्सन अपने आपको बताती है ने भी अपने अन्य महिला साथियों के साथ मिलकर मेरे पुत्र के चिता को चारों तरफ से घेर कर आग लगवाने में मदद की। नेहा शर्मा ने मेरे एवं मेरे सहयोगी रामकुमार अत्री जी के साथ धमकी भरे लहजे में चैलेंज भी किया है कि देखती हूं आप दोनों क्या कर लेते हो? जिस पिता के पुत्र की हत्या हो गई हो और उस पिता से इस लहजे में अगर कोई महिला बात करें तो आप सोच सकते है कि उस पिता पर क्या गुजरा होगा?
मैं सभी मीडिया बंधुओं से निवेदन करता हूं कि कृपया मेरे पुत्र की मौत के जांच के लिए जो प्रथम सूचना रिपोर्ट राजपुर थाना देहरादून में दर्ज की गई है उसको विस्तार से पढ़ें एवं न्याय दिलाने में मेरी मदद करें, मैं आप सभी का आभारी रहूंगा।
मेरे साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाले एवं मेरे सुख दुख के साथी रामकुमार अत्री को भी मैं धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने दिन-रात मेहनत कर मुझे इस मुकाम तक पहुंचाएं हैं।