सिविल सेवा के प्रतियोगी छात्रों के लिए उपयोगी साबित हो रही है पुस्तक ” भारतीय कला एवं संस्कृति”

100

देहरादून- देश में तमाम ऐसी प्रतियोगी पुस्तकें प्रचलित है,जो सिविल सेवा एवं राज्य सेवा की प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बेहद ही उपयोगी साबित हो रही है,उसी कड़ी में झारखण्ड में तैनात आईएएस मनीष रंजन ने “भारतीय कला एवं संस्कृति “नामक पुस्तक का लेखन किया है। भारतीय कला एवं संस्कृति’ नामक यह पुस्तक सिविल सेवा एवं राज्य सेवा की प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा को तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी है। इसमें पाठयक्रम को भारतीय कला, भारतीय संस्कृति एवं भारतीय वियस्त नामक तीन खंडों में विभाजित करते हुए प्रत्येक खंड की तार्किक दृष्टिकोण से विभिन्‍न अध्यायों में विवेचना की गई है। अभ्यर्थियों के लिए पुस्तक और भी महत्वपूर्ण इसलिए है कि इसमें भारतीय कला, संस्कृति एवं विरासत के विविध स्वरूपों, यथा- चित्रकला एवं हस्तशिल्प, वास्तुशिल्प, नाट्य, नृत्य, संगीत, मूर्ति एवं स्थापत्य कलाओं, अभिलेख, शिलालेख, पर्व- त्यौहार, यूनेस्को द्वारा घोषित विरासत स्थल, भाषा, साहित्य, शिक्षा, धर्म एवं दर्शन इत्यादि ऐसे ही अनेक विषयों को उनके उद्भव काल से लेकर अब तक के ऐतिहासिक विकासक्रम में नवीनतम शोधेों से प्राप्त प्रामाणिक तथ्यों एवं अद्यतन आँकड़ों के साथ समीक्षात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है। पुस्तक के अंत में चार परिशिष्ट दिए गए हैं जिनमें कला एवं संस्कृति से संबंधित महत्त्वपूर्ण परीक्षोपयोगी सामग्री भी समाहित की गई है। पुस्तक में विषयवस्तु का विवेचन जितना तथ्यात्मक एवं सारयुकत है, उसके प्रस्तुतीकरण में चित्रों, आंकड़ों एवं सदर्भों का प्रयोग उसे उतना ही रोचक, विश्वसनीय एवं प्रामाणिक बनाता है। लेखक से प्राप्त जानकारी के मुताविक पुस्तक का मूल्य मात्र 600 रूपये रखा गया है ,ताकि यह पुस्तक प्रतियोगी छात्रों को आसानी से उपलब्ध हो सके.इस पुस्तक को प्रभात प्रकाशन ने प्रकशित किया है।

Also Read....  नवनियुक्त 1094 कनिष्ठ अभियन्ताओं को मिले नियुक्ति पत्र

LEAVE A REPLY