-शीर्ष विजेताओं में टेक्नोलॉजी के जरिए शिक्षकों के प्रशिक्षण, तपेदिक (ट्यूबरकुलोसिस) की रोकथाम और जल निकायों के संरक्षण में विशेष योगदान देने वाली संस्थाएं शामिल हैं
-ग्रामीण भारत में पर्यावरण, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए चयनित एनजीओ को ₹16.5 करोड़ (लगभग $2 मिलियन) प्राप्त होंगे
देहरादून – एचसीएल फाउंडेशन ने अपने प्रमुख कार्यक्रम एचसीएल ग्रांट के 2023 संस्करण के लिए चुने गए एनजीओ के नामों की घोषणा की, जो ग्रामीण भारत में स्थायी बदलाव लाने के लिए कुछ नया कर दिखाने वाली मुहिम में सहायता के लिए समर्पित एक प्रमुख कार्यक्रम है। एचसीएल टेक्नोलॉजीज (HCLTech) के कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व से संबंधित गतिविधियों को एचसीएल फाउंडेशन संचालित करता है।
एचसीएल ग्रांट के माध्यम से तीन एनजीओ — प्लैनेटअर्थ, इनोवेटर्स इन हेल्थ (आईआईएच) इंडिया तथा मेघशाला ट्रस्ट को उनकी परियोजनाओं के लिए को अनुदान सहायता दी जाएगी। इनमें से प्रत्येक संगठन को एचसीएल ग्रांट के तहत ₹5 करोड़ (लगभग $620,000) की आर्थिक सहायता प्राप्त होगी। पिछले साल की तुलना में 80% की बढ़ोतरी के साथ इस साल फाउंडेशन को 15,000 से ज्यादा संस्थाओं की ओर से अनुरोध प्राप्त हुए, जिनमें से विजेताओं का चयन किया गया।
इस अवसर पर एचसीएल ग्रांट ज्यूरी की अध्यक्ष तथा एचसीएल टेक्नोलॉजीज बोर्ड की सदस्य, सुश्री रॉबिन ऐन अब्राम्स ने कहा: “ये संगठन और उनकी परियोजनाएँ सही मायने में पर्यावरण, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र एचसीएल फाउंडेशन द्वारा किए जा रहे प्रयासों के अनुरूप हैं। इन संगठनों के कार्यों से देश के ‘अंतिम छोर’ पर बसे इलाकों में भी बदलाव दिखाई देगा, जिसमें समाज के हर तबके के लोग शामिल होंगे। हमें पूरा यकीन है कि, ये सभी संगठन स्वास्थ्य सेवा में असमानता को दूर करके, मीठे पानी के संरक्षण में मदद करके और समाज के कमजोर तबके के लोगों के लिए शिक्षा को सुलभ बनाकर ग्रामीण समुदायों के लिए जीवन-यापन को बेहतर बनाएंगे।”
इसके अलावा, फाइनल राउंड में पहुंचने वाले छह एनजीओ में से प्रत्येक को निम्नलिखित श्रेणियों में ₹25 लाख (लगभग $30,000) का अनुदान प्राप्त होगा:
· पर्यावरण: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च, पुणे (IISER); नॉर्थ-ईस्ट इनिशिएटिव डेवलपमेंट एजेंसी (NEIDA)
· शिक्षा: महान; महान; श्री श्री रूरल डेवलपमेंट प्रोग्राम ट्रस्ट (SSRDPT)
· स्वास्थ्य: टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS); गुड़िया स्वयं सेवी संस्थान (GSSS)
आठ साल पहले एचसीएल ग्रांट कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से, एचसीएल फाउंडेशन ने विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों को ₹130 करोड़ (लगभग $16 मिलियन) से अधिक का आर्थिक अनुदान दिया है, और इस प्रकार यह फाउंडेशन भारत के 19 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के दूर-दराज के जिलों के 25,000 से अधिक गांवों में 1.8 मिलियन से अधिक लाभार्थियों के जीवन में बदलाव ला रहा है।
डॉ. निधि पुंधीर, वाइस प्रेसिडेंट, ग्लोबल सीएसआर, एचसीएल फाउंडेशन ने एक वर्चुअल समारोह में विजेताओं को उनके पुरस्कारों से सम्मानित किया, जिसमें गैर-सरकारी संगठनों, एचसीएल, एचसीएलटेक और मीडिया बिरादरी के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यह समारोह व्यापक और ग्रांट थॉर्नटन की विभिन्न कसौटियों पर अच्छी तरह परखी गई प्रक्रिया का समापन था, जिसमें इस साल की शुरुआत में अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित की गई संगोष्ठियों की एक श्रृंखला शामिल थी, जिसमें विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों, सरकार और कॉरपोरेट जगत के 2,000 से अधिक प्रतिनिधि एकजुट हुए।
डॉ. पुंढीर ने कहा, “हमें खुशी है कि इस साल की चयन प्रक्रिया के लिए हमें बड़ी संख्या में आवेदन प्राप्त हुए। एचसीएल ग्रांट ने इन गैर सरकारी संगठनों के साथ साझेदारी की है, ताकि उनके कामकाज के संचालन को बेहतर बनाया जा सके और सतत ग्रामीण विकास के लिए उनके नवीन विचारों को बढ़ाने में उनकी मदद की जा सके। हम इस साल के चुने हुए एनजीओ भागीदारों के साथ काम करने को लेकर बेहद उत्सुक हैं, ताकि ग्रामीण समुदायों की प्रगति के लिए उनकी ओर से बिल्कुल नई सोच के साथ शुरू की गई गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सके।”
इस मौके पर उन्होंने सार-संग्रह के सातवें खंड “फिफ्थ एस्टेट – एनजीओ ट्रांसफॉर्मिंग रूरल इंडिया इन एनवायरनमेंट, हेल्थ एंड एजुकेशन” भी जारी किया, जिसमें पहले एचसीएल ग्रांट प्राप्त कर चुके संगठनों के कार्यों का विवरण दिया गया है। यह पुस्तक सभी राष्ट्रीय पुस्तकालयों और अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के माध्यम से उपलब्ध होगी।
प्लैनेटअर्थ को पर्यावरण श्रेणी में एचसीएल ग्रांट से सम्मानित किया गया। संगठन को यह सम्मान महासागरों से प्लास्टिक की सफाई के साथ-साथ तालाबों और ठहरे हुए पानी के स्रोतों से जलकुंभी जैसी आक्रामक प्रजातियों की सफाई करके जल-निकायों के संरक्षण पर अपनी परियोजना के लिए दिया गया। इससे केरल के 45 गांवों के कम से कम 170,000 मछुआरों को सीधे तौर पर लाभ होने की उम्मीद है। इस परियोजना का उद्देश्य मछुआरों की आजीविका को बेहतर बनाने के साथ-साथ जल निकायों की गुणवत्ता में सुधार लाना है।
इस मौके पर प्लैनेटअर्थ के संस्थापक, सूरज अब्राहम ने कहा, “दुनिया के महासागरों, और खास तौर पर केरल के तटीय इलाकों में प्लास्टिक की वजह से पानी प्रदूषित हो चुका है। इससे समुद्री मछुआरों की आजीविका पर काफी बुरा असर पड़ता है। एचसीएल ग्रांट ही एकमात्र तरीका है, जिसके माध्यम से हम केरल के ग्रामीण मछुआरों की मदद करने और अपनी धरती की हिफाजत के अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं।”
स्वास्थ्य श्रेणी में इनोवेटर्स इन हेल्थ (IIH) इंडिया को एचसीएल ग्रांट से सम्मानित किया गया। बिहार के ग्रामीण इलाके में बड़े पैमाने पर फैले तपेदिक (ट्यूबरकुलोसिस) की रोकथाम के लिए इस संगठन को यह पुरस्कार दिया गया। सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को सक्षम बनाकर, तथा निदान और उपचार के परिणामों में सुधार के माध्यम से ट्यूबरकुलोसिस के बोझ को कम करना ही इस परियोजना का उद्देश्य है। इस परियोजना का लाभ बिहार के समस्तीपुर जिले के 1,260 गांवों में 10,500 से अधिक परिवारों को मिलेगा।
डॉ. मनीष कुमार, सीईओ, इनोवेटर्स इन हेल्थ (IIH) इंडिया ने कहा, “एचसीएल फाउंडेशन ने हमारे ऊपर भरोसा जताया है, जिसके लिए मैं बहुत आभारी हूँ। हम पहले से ही बड़ी संख्या में लोगों और समुदायों को अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, लेकिन इस अनुदान से हमें उन सेवाओं के दायरे को बढ़ाने समस्तीपुर को पूरे भारत में ट्यूबरकुलोसिस की रोकथाम के मामले में सबसे खास जिला बनाने में मदद मिलेगी।”
मेघशाला को शिक्षा श्रेणी में एचसीएल ग्रांट से सम्मानित किया गया। स्थानीय भाषाओं पर विशेष ध्यान देते हुए टेक्नोलॉजी के माध्यम से शिक्षकों की क्षमता निर्माण से जुड़ी परियोजना के लिए संगठन को यह पुरस्कार दिया गया। इससे सिक्किम के 460 गांवों के प्राथमिक और माध्यमिक सरकारी स्कूलों के 2,700 शिक्षकों तथा कक्षा 1 से 8 के 63,000 छात्रों को सीधे तौर पर लाभ मिलेगा। इस परियोजना से डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने और युवा पीढ़ी के बीच स्थानीय भाषाओं के उपयोग को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी।
मेघशाला ट्रस्ट की संस्थापक और सीईओ, ज्योति त्यागराजन ने कहा, “हम हमेशा से ही भाषा को अपने सभी विकास कार्यों के केंद्र में रखते आए हैं, एचसीएल ग्रांट के समर्थन से हमें देश भर में और अधिक कक्षाओं तक अपनी सेवाएं पहुंचाने में मदद मिलेगी। इसमें स्थानीय भाषाओं को पढ़ाने वाली ऐसी कक्षाओं को खास तौर पर शामिल किया जाएगा, जहां हमारी इस मुहिम की सबसे ज्यादा जरूरत है।”
जूरी के सम्मानित सदस्यों द्वारा आवेदनों की जाँच और उन पर अच्छी तरह विचार करने के बाद ही एनजीओ का चयन किया गया था, जिनकी निगरानी एवं लेखा-परीक्षण एचसीएल ग्रांट के गवर्नेंस पार्टनर, ग्रांट थॉर्नटन द्वारा की गई थी। जूरी के सम्मानित सदस्यों में सुश्री रॉबिन ऐन अब्राम्स, ज्यूरी की अध्यक्ष तथा एचसीएल टेक्नोलॉजीज बोर्ड की सदस्य; श्री सुरेश नारायणन, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, नेस्ले इंडिया लिमिटेड; श्री बी.एस. बसवान, पूर्व-निदेशक, भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, और पूर्व सचिव, मानव संसाधन विकास मंत्रालय; श्रीमती पल्लवी श्रॉफ, मैनेजिंग पार्टनर, शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी; डॉ. रिचर्ड लैरिविएरे, संस्कृत विद्वान और प्रेसिडेंट एमेरिटस, फील्ड म्यूजियम (शिकागो), और श्री शिव नादर, संस्थापक, एचसीएल समूह, चेयरमैन एमेरिटस, एचसीएलटेक, शामिल थे।