मिलेनियल से लेकर सेवानिवृत्त लोगों तक, एक उज्ज्वल भविष्य के लिए बचत करने के पाँच बुनियादी कदम: बिभू प्रसाद महापात्रा, कार्यकारी निदेशक, पंजाब नेशनल बैंक

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मिलेनियल्स (80 और 90 के दशक में पैदा होने वाली पीढ़ी), प्रोफ़ेशनल्स और सेवानिवृत्त लोग उज्ज्वल भविष्य के लिए बचत करने के तरीकों और माध्यमों की तलाश कर रहे हैं। अनगिनत पुस्तकों ने पैसे बचाने के माध्यमों और तरीकों के बारे में बताने के लिए दर्शन, आर्थिक सिद्धांतों और गुलाबी आंकड़ों (संभावनाओं से भरपूर आंकड़े) की तारीफ़ें की हैं। लेकिन ज्ञान की मौजूदगी के बावजूद वित्तीय स्थिरता का मार्ग धुंधला और उलझन से भरा हुआ है।

 

हाल के डेटा संकेत देते हैं कि पैसे बचाने के रुझान में गिरावट आई है। 2021-23 के बीच वित्तीय बचत (GDP) पर RBI के आंकड़ों ने 7.2% से 5.1% तक गिरावट का संकेत दिया है। 2022 में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने पिछले वर्ष में घरेलू बचत की तुलना में 1.60 लाख करोड़ रुपएकी बचत में गिरावट देखी है। NSO के आंकड़ों से यह भी पता चला है कि पर्सनल लोन में तेज़ी आई है।

 

आदर्श रूप से, वित्तीय समृद्धि को पीढ़ीगत श्रेणियों में विभाजित करने के बजाय पाँच समाधानों के रूप में देखना बेहतर है। इन बुनियादी चरणों में शामिल हैं – बजट बनाना, कर्ज़ चुकाने को प्राथमिकता देना, बचत करना, विविधता लाना और बीमा लेना। इन आदतों का पालन करने लोगों को सुरक्षित भविष्य के लिए बचत करने में मदद मिलनी चाहिए।

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अच्छी वित्तीय समृद्धि योजना के लिए अच्छी तरह से बजट बनाना काफ़ी अहम होता है। उदाहरण के लिए, कोई मिलेनियल, बचत की कमी की वजह से परेशान हो सकता क्योंकि उसने अपने स्टूडेंट लोन के बारे में ध्यान से योजना नहीं बनाई थी। इसी तरह, कोई पेशेवर अपने होम लोन को लेकर EMI की गलत गणना कर सकता है। गलतियों और कमियों से भरा बजट न सिर्फ़ बचत करने की क्षमता पर असर डालता है, बल्कि किसी व्यक्ति को अपने प्रियजनों से उलझने के लिए भी मजबूर कर सकता है।

 

एक बार जब व्यक्ति अपनी मासिक कमाई और खर्चों का बजट बना लेता है, तो ज़रूरतों, इच्छाओं और बचत को पूरा करने के लिए उसे 50, 30 और 20 प्रतिशत अनुपात में विभाजित करना एक अच्छा विचार होगा। 50/30/20 नियम टैक्स के बाद के पैसे बचाने पर एलिज़ाबेथ वॉरेन के दर्शन पर आधारित है। उदाहरण के लिए, 100,000 रुपए की टैक्स के बाद इनकम के परिणामस्वरूप प्रतिमाह 20,000 रुपए की बचत हो सकती है। एक अनुशासित तरीके के परिणामस्वरूप वर्ष के आखिर में 2,40,000 रुपए की सावधि जमा होने की संभावना है।

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डिजिटल के इस दौर में, पर्सनल लोन, क्रेडिट-कार्ड या “बाद में भुगतान करें” जैसी स्कीम की मौजूदगी के साथ अनुशासन बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। ऐसे मामलों में, किसी को कर्ज़ देने की योजना की रणनीति बनाने की ज़रूरत हो सकती है। इसमें साधारण चीज़ें शामिल हो सकती हैं जैसे ब्याज दरों की तुलना करना, बातचीत करना और यहाँ तक कि स्थायी रीपेमेंट सुनिश्चित करने के लिए एक शेड्यूल को अंतिम रूप देना।

 

बजट पर कायम रहने और बचत की योजना बनाने से म्यूचुअल फ़ंड, शेयर मार्केट और यहाँ तक कि रियल एस्टेट जैसी योजनाओं में निवेश करने में मदद मिलनी चाहिए। किसी की बचत को फिर से निवेश करना न सिर्फ़ एक सुरक्षित ख़याल है, बल्कि यह ब्याज या लाभांश हासिल करने की क्षमता को भी बढ़ाता है। जब वित्तीय पोर्टफ़ोलियो बनाने की बात आती है, तो एक कम रेटिंग वाली रणनीति बीमा और टर्म-प्लान को जोड़ना है। जीवनयापन और चिकित्सा उपचार की बढ़ती कीमतों को देखते हुए, किसी की जीवनशैली के अनुरूप एक बीमा समय की ज़रूरत है।

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बजट बनाना, कर्ज़ चुकाने को प्राथमिकता देना, समान रूप से बचत करना, निवेशों में विविधता लाना और बीमा ख़रीदना, जीवन में उम्र या अवस्था की परवाह किए बिना, बेहतर भविष्य के लिए पैसे बचाने के अहम घटक बने हुए हैं। इन पाँच बुनियादी वित्तीय आदतों को शामिल करने से मिलेनियल, पेशेवरों और सेवानिवृत्त लोगों को एक ठोस वित्तीय नींव बनाने में मदद मिलनी चाहिए। इन्हें आने वाले वर्षों में सभी को ज़्यादा वित्तीय सुरक्षा और समृद्धि का आनंद लेने में भी मदद करनी चाहिए।

 

 

लेखक:  बिभू प्रसाद महापात्रा, कार्यकारी निदेशक, पंजाब नेशनल बैंक

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