उद्यमी भैरवी जानी ने अपनी बहुप्रशंसित पुस्तक ‘हाईवे टू स्वदेस: रिडिस्कवरिंग इंडियाज़ सुपरपावर्स’ पर अंतर्दृष्टि साझा की

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-“उत्तराखंड दुनिया भर के लिए जलवायु योद्धा बनने की क्षमता रखता है” – भैरवी जानी

देहरादून: प्रसिद्ध लोजिस्टिक्स और सप्लाई चेन उद्यमी भैरवी जानी ने आज आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी पहली पुस्तक ‘हाईवे टू स्वदेस: रिडिस्कवरिंग इंडियाज सुपरपावर’ पर अपने दृष्टिकोण और विचार साझा किए।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मीडिया को संबोधित करते हुए, भैरवी ने कहा, “मेरी किताब ‘हाईवे टू स्वदेस’ देश भर के रोजमर्रा वाले भारतीयों की आवाज़ और भारत की सभ्यता पर केंद्रित है। यह किताब मेरी 51 दिनों और 18,181 किलोमीटर लम्बी यात्रा पर आधारित है जो मैंने वर्ष 2014 में नागालैंड के दूरदराज के जिलों से लेकर रण ऑफ़ कच्छ के गांवों तक, हैदराबाद के बाजारों से लेकर भारत के डेक्कन के अंदरूनी हिस्सों तक करी। इस किताब में की गयी अवलोकन और खोज पूरे भारत के लोगों और स्थानों को अर्थशास्त्र, मार्किट, रेस, विश्वास, इतिहास और राजनीति के माध्यम से जोड़ती है।

उन्होंने आगे कहा, “पुस्तक में मैंने प्रत्येक अध्याय को एक महाशक्ति को समर्पित किया है, जिनमें उद्यम की शक्ति, प्रकृति की शक्ति, विरासत की शक्ति, रचनात्मकता की शक्ति, ज्ञान की शक्ति, भोजन की शक्ति, सौंदर्य की शक्ति, कल्याण की शक्ति, आत्मसात करने की शक्ति, समावेशन की शक्ति, वैयक्तिक शक्ति और समुदाय की शक्ति शामिल हैं। यह पुस्तक भारतीय लोगों की महाशक्तियों को संक्षेप में रेखांकित करती है और भारत के विकास पथ के लिए इन्हें कैसे लागू किया जा सकता है, इस पर एक रोडमैप तैयार करती है।”

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उत्तराखंड में अपने जीवन के बारे में बात करते हुए, भैरवी ने कहा, “मैं पूरे साल में से छह महीने उत्तराखंड के मुनस्यारी में बिताती हूँ। मुझे उत्तराखंड राज्य में जलवायु में प्रतिकूल परिवर्तन देखकर बेहद दुख होता है। लेकिन मुझे लगता है कि उत्तराखंड के पास हिमालय पर्वत का वरदान है, जो न केवल उत्तराखंड राज्य में बल्कि पूरे देश में मौसम की स्थिति को बदल सकता है। हमें प्रकृति के साथ साझेदारी करने के अवसर के बारे में बड़े पैमाने पर जागरूकता फैलाना महत्वपूर्ण है, और हमें प्रकृति-आधारित विकास पथ को अपनाना चाहिए क्योंकि हमारा उत्तराखंड राज्य दुनिया के लिए जलवायु योद्धा बनने की क्षमता रखता है।”

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यह पुस्तक हार्पर कॉलिन्स पब्लिशर्स इंडिया द्वारा नवंबर 2022 में प्रकाशित की गई थी। पुस्तक में, भैरवी ने भारत की समृद्ध और विशाल सभ्यता और गणतंत्र के रूप में भारत की भविष्य में प्रगति के ऊपर भी ध्यान केंद्रित किया है।

भैरवी द्वारा लिखी गयी किताब पढ़ने और समझने में काफी सरल है। उन्होंने ‘प्रकृति की शक्ति’ अध्याय में, लद्दाख में ठंडे रेगिस्तान वन्यजीव अभयारण्य के चांगपा लोगों को, मेघालय के ख़ासिस को, और कुमाऊं में ऑक्सफोर्ड से लौटी एक युवती को बांधने वाले असंभावित बंधनों को दर्शाया है। वहीँ ‘उद्यम की शक्ति’ अध्याय में, भैरवी ने खूबसूरती से समझाया है कि कैसे हमें अपने दिमाग को खोलने और यह पहचानने की आवश्यकता है कि एक स्ट्रीट वेंडर उतना ही उद्यमी है जितना कि बेंगलुरु या हैदराबाद जैसे शहरों में एक टेक स्टार्टअप का संस्थापक। ‘रचनात्मकता की शक्ति’ में, वह इस बात पर प्रकाश डालती हैं कि कैसे रचनात्मकता की हमारी अंतर्निहित महाशक्ति हमें नए युग की तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके एक संपन्न रचनात्मक अर्थव्यवस्था बनाने में मदद कर सकती है।

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भैरवी चौथी पीढ़ी की उद्यमी, विकास के प्रति उत्साही और एक इच्छुक परोपकारी हैं। वह आईईएफ एंटरप्रेन्योरशिप फाउंडेशन की अध्यक्ष और संस्थापक हैं और 1896 में स्थापित एससीए ग्रुप ऑफ़ कंपनीज़ की कार्यकारी निदेशक हैं।

उन्हें इंडिया टुडे प्रकाशन द्वारा भारत की 30 सबसे शक्तिशाली महिलाओं में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। उन्हें सीएनबीसी आवाज़ द्वारा स्त्री शक्ति के रूप में चित्रित किया गया है और सीएनबीसी टीवी 18 द्वारा एक युवा टर्क के रूप में चित्रित किया गया है। उन्हें हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा 10 महिला मिसालों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, और बिजनेस टुडे पत्रिका ने उन्हें सप्लाई चेन मेवन के रूप में चित्रित किया है।

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