अन्नदाता किसानों की मांगों को सरकार से मनवाने के लिए किसान संयुक्त मोर्चे के अलावा अलग से एक और संगठन का गठन किया

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देहरादून–अन्नदाता किसानों की मांगों को सरकार से मनवाने के लिए किसान संयुक्त मोर्चे के अलावा अलग से एक और संगठन का गठन किया जाएगा। जिसमें देश के विश्वविख्यात समाजसेवी मजदूर ,दलित ,गैर राजनीतिक, संस्थाओं धर्मगुरुओं ट्रेड यूनियनों का समन्वयक मोर्चे का गठन 9 एवं 10 अप्रैल को दिल्ली में गांधी शांति प्रतिष्ठान में होगा जिसमें सभी किसान यूनियन ,किसान मंच ,किसान मोर्चा ,के प्रत्येक संगठन से दो-दो प्रतिनिधि भाग लेंगे। एवं साथ ही सभी ट्रेड यूनियन सामाजिक संस्थाओं एवं सभी जाति धर्म के गुरुओं के अलावा विश्व विख्यात समाजसेवियों द्वारा किसान समन्वयो का समन्वयक की कोर कमेटी का गठन भी किया जाएगा। जो कमेटी सभी किसानों के बड़े नेताओं पर नजर बनाए रखेगी ।क्योंकि जब अन्ना हजारे का आंदोलन हुआ था तब उस दौरान अन्ना आंदोलन के नाम पर कई लोगों ने राजनीतिक पार्टियों की दुकान खोल दी थी और सत्ता पर भी काबिज हो गए थे उस आंदोलन का भरपूर लाभ कई लालची नेताओं ने लिया था कहीं उसी तर्ज पर किसान आंदोलन के नाम पर भी हमारे बीच कुछ लालची लोग अपने लिए राजनीतिक विसात तो नहीं बिछा  रहे होंगे ।इसी बात का डर का अंदेशा किसानों और समाजसेवियों को अभी से सता रहा है ।कहीं यह आंदोलन गलत दिशा में तो नहीं जा रहा है इसलिए देश के कई सारे विश्वविख्यात समाज सेवी संगठन एकत्रित हो रहे हैं कई सामाजिक संगठन और किसान नेताओं ने अब निर्णय ले लिया है कि सभी संगठनों को मिलाकर एक समन्वय बनाना अति आवश्यक हो गया है ताकि कोई भी हमारे बीच में आकर किसानों में फूट ना डाल सके ।और आंदोलन के आंदोलन को टूटने से बचाया जा सके । इसी संदर्भ में 9 एवं 10 अप्रैल को देश के सभी राज्यों जैसे कर्नाटक ,महाराष्ट्र ,गुजरात, हरियाणा ,पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान ,उत्तराखंड, के वरिष्ठ किसान संगठनों के नेताओं को आमंत्रित किया गया है। यह जानकारी प्रेस वार्ता के माध्यम से भारतीय किसान यूनियन किसान सरकार के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष भोपाल सिंह ने यह जानकारी दी है चौधरी ने कहा है कि यदि हमें अपने भारत का पुनर्निर्माण करना है तो जवानी और किसानी के बिना पानी के संभव नहीं है ।और इन तीनों का देश के उद्योगपति शोषण, प्रदूषण ,अतिक्रमण, कर रहे हैं इन उद्योगपतियों ने जवानों को किसानों से लड़ा दिया है आज जवान और किसान देश की सीमा पर एक दूसरे से लड़ रहे हैं इनकी लड़ाई को अब हम कैसे खत्म करें इसलिए हम सबको मिलकर दलगत राजनीति से हटकर किसान आंदोलन की दिशा और दशा बदलने के लिए 9 एवं 10 अप्रैल को दिल्ली में मंथन करना ही होगा ।और इस देश को पूंजीपति उद्योगपतियों से बचाना ही होगा।

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