पौड़ी में अपने पैतृक आवास पहुंचे कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा, दादा जी को याद कर हुए भावुक

169

पौड़ी गढ़वाल: देवभूमि उत्तराखंड के लोग अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं, चाहे वो जो भी काम करें और जहां भी रहें। उत्तराखंड की मूल भावना को अपने व्यक्तित्व में समाहित रखने वाले सूबे के सबसे युवा मंत्री सौरभ बहुगुणा भी कुछ अलग नहीं हैं। आज जब वह पौड़ी बुघाणी स्थित अपने पैतृक निवास पर पहुंचे तो उनकी आंखें कई बार भावुकता और विनम्रता के भाव से भरी दिखाई पड़ीं।

अपने दादा स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा के व्यक्तित्व और उनकी विचारधारा के प्रशंसक सौरभ जब हेमवती नंदन बहुगुणा राजकीय संग्रहालय पहुंचे तो उनकी जिज्ञासा का ठिकाना नहीं था। बता दें कि सौरभ बहुगुणा सोमवार को अपने परिवार के साथ देवलगढ़ में श्री गौरा देवी मंदिर और मां श्री राजराजेश्वरी जी सिद्धपीठ में दर्शन के बाद गढ़वाल जनपद के बुघाणी में स्थित अपने पैतृक निवास स्थान पर पहुंचे थे।

Also Read....  भाजपा महापौर प्रत्याशी सौरभ थपलियाल को मिला महानगर देहरादून के विभिन्न संगठनों का समर्थन

यहां उन्होंने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की स्मृतियों को याद किया और उनके बारे में कई लोगों से बातचीत भी की। युवा मंत्री ने बताया कि लोग हेमवती नंदन बहुगुणा को आज भी याद करते हैं। उन्होंने कहा, “यह मेरा सौभाग्य है कि मेरा जन्म उनके परिवार में हुआ और उनके नेक कार्यों को आगे बढ़ाने का अवसर मुझे मिला। यहां गांव का वातावरण निजी तौर पर मेरे लिए भावनाओं का तीर्थ है।”

Also Read....  पब्लिक बोली डीएम हो तो ऐसा जो जन सुविधा को बढावा के लिए रहते हैं तत्पर

इस दौरान सौरभ बहुगुणा ने आस पड़ोस के लोगों और परिजनों के साथ बैठकर भोजन भी ग्रहण किया। उन्होंने आस पड़ोस के बड़े बुजुर्गों से मुलाकात कर अपने दादा के बारे में बातचीत की। इस अवसर पर कई बार सौरभ भावुक भी नज़र आए। उन्होंने कहा कि यहां आना उनके लिए हमेशा ही खास रहता है।

गौरतलब है कि सौरभ बहुगुणा प्रदेश के सबसे अधिक सक्रिय मंत्रियों में गिने जाते हैं। पहाड़ों में उनके दौरे आम सी बात हैं। उन्होंने बुघाणी के लोगों से वादा भी किया है कि वह आगे भी यहां आते रहेंगे। लाज़मी है, सौरभ बहुगुणा के व्यक्तित्व के अंदर उत्तराखंड पूर्ण रूप से बसता है। ठीक हेमवती नंदन बहुगुणा की तरह ही, वह अपनी जड़ों से जुड़े हुए व्यक्ति और जन नेता के रूप में जाने जाते हैं। कहीं ना कहीं, आज राज्य में उनकी बढ़ती ख्याति भी इसी सरल अंदाज और पहाड़ों की परवरिश की देन है।

Also Read....  राष्ट्रीय खेल के शुभारंभ में 10 दिन शेष: उत्तराखंड सरकार ने किया ऐतिहासिक कार्य।

LEAVE A REPLY