देहरादून : उत्तराखण्डको 38वें राष्ट्रीय खेल की मेजबानी का गौरव अपने रजत जयंती वर्षमें प्राप्त हुआ है। राष्ट्रीय खेल के आरंभ में अब केवल 10 दिन शेष हैं।उत्तराखण्ड सरकार ने राष्ट्रीय खेल के आयोजन के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। प्रदेश में खेल संरचना को मजबूत करने और खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए अभूतपूर्व कार्य किए गए हैं। माननीय मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने दिन-रात मेहनत करते हुए इन खेलों को सफल और यादगार बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए हैं। भारतीय ओलंपिक संघ ने खेल स्थलों का निरीक्षण और समीक्षा करने के लिए गेम्स टेक्निकल कंडक्ट कमेटी का गठन किया है। खेल इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में बहुत कार्य हुआ है। खेल स्टेडियम्स में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं प्रदान की गई हैं।रुद्रपुर के मनोज सरकार खेल स्टेडियम में वेलोड्रोम साइक्लिंग ट्रैक का निर्माण किया गया है। यह राज्य की खेल संरचना में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। पहली बार राष्ट्रीय खेल के इतिहास में, समग्र अनुभवात्मक शिक्षण कार्यक्रम (Comprehensive Experiential Learning Program) को वालंटियर के प्रशिक्षण का हिस्सा बनाया गया है। हर खेल के लिए संचालन निदेशक ने अपने-अपने खेल स्थलों का निरीक्षण किया है। इसके अलावा, पहली बार राष्ट्रीय खेल को ग्रीन गेम्स के रूप में आयोजित किया जा रहा है। पर्यावरण संरक्षण और सस्टैनिबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिनमें 100% रीसाइकल्ड पानी की बोतलों का उपयोग प्रमुख है। खिलाड़ियों की सुविधा के लिए परिवहन, आवास और सुरक्षा के क्षेत्र में भी बड़ी प्रगति की गई है। यह आयोजन न केवल खेल संस्कृति को बढ़ावा देगा बल्कि उत्तराखंड को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण खेल गंतव्य के रूप में स्थापित करेगा। सरकार का यह प्रयास राज्य को खेल के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए समर्पित है।माननीय खेल मंत्री श्रीमती रेखा आर्या ने कहा कि “अब तक उत्तराखंड को सैन्यभूमि और देवभूमि के नाम से जाना जाता था, अब इसे खेलभूमि के नाम से भी पहचाना जाएगा”।