उत्तराखण्ड के सहकारी आंदोलन ने आज एक ऐतिहासिक कदम उठाया

39

देहरादून – उत्तराखण्ड के सहकारी आंदोलन ने आज एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। आज पूरे प्रदेश के सहकार बंधुओं ने देहरादून स्थित सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण के समक्ष विशाल धरना-प्रदर्शन आयोजित किया गया जिसमें कॉ-ऑपरेटिव सोसाइटी आम चुनाव 2025 की प्रक्रिया में हो रही असहनीय देरी के खिलाफ तीखा रोष व्यक्त किया गया। इस अवसर पर प्राधिकरण को ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें 12 मई 2025 तक सहकारी सोसाइटी आम चुनाव की तिथि घोषित करने की मांग की गई।ज्ञापन में चेतावनी दी गई कि यदि 12 मई 2025 तक चुनाव तिथि घोषित नहीं की जाती, तो सहकार बंधु प्राधिकरण कार्यालय में तालाबंदी करने और अनिश्चितकालीन धरना शुरू करने के लिए मजबूर होंगे। यह आंदोलन सहकारी समितियों के लाखों सदस्यों के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा और प्राधिकरण की निष्क्रियता के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक है।

पृष्ठभूमि और प्राधिकरण की निष्क्रियता
माननीय उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली ने विशेष अनुमति याचिका (दीवानी) सं. 15734/2025 में उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय, नैनीताल के आदेश दिनांक 27.02.2025 को स्थगित कर दिया था। उच्चतम न्यायालय के आदेश दिनांक 07.04.2025 के अनुसार, सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण को 01.05.2025 तक चुनाव प्रक्रिया शुरू करनी थी। इसके बावजूद, प्राधिकरण ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे सहकारी समितियों के सदस्यों में भारी आक्रोश है। यह देरी न केवल सहकारी समितियों की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित कर रही है, बल्कि उत्तराखण्ड के सहकारी आंदोलन की नींव को भी कमजोर कर रही है।

Also Read....  ट्रैक्टर की स्टेयरिंग पर सीएम धामी, जनता से जुड़कर ही होता है सच्चा नेतृत्व

सहकार बंधुओं का गुस्सा और अल्टीमेटमधरना-प्रदर्शन में हजारों सहकार बंधुओं ने हिस्सा लिया, जिन्होंने प्राधिकरण की उदासीनता के खिलाफ नारेबाजी की और अपनी मांगों को जोरदार तरीके से उठाया। सौंपे गए ज्ञापन में साफ कहा गया कि प्राधिकरण की निष्क्रियता अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि 12 मई तक चुनाव तिथि घोषित नहीं हुई, तो सहकार बंधु प्राधिकरण के खिलाफ कड़ा कदम उठाएंगे, जिसमें कार्यालय में तालाबंदी और अनिश्चितकालीन धरना शामिल है।
जिला सहकारी बैंक टेहरी के निवर्तमान अध्यक्ष सुभाष रमोला ने कहा की टिहरी गढ़वाल की सहकारी समितियां प्राधिकरण की लापरवाही का शिकार हो रही हैं। हमारे लाखों सदस्य अपने लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित हैं। माननीय उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद प्राधिकरण की चुप्पी अस्वीकार्य है। हम 12 मई तक का समय दे रहे हैं, लेकिन यदि तब तक चुनाव तिथि घोषित नहीं हुई, तो हम तालाबंदी और अनिश्चितकालीन धरना शुरू करेंगे। यह केवल टिहरी की नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखण्ड के सहकारी आंदोलन की लड़ाई है। सहकारी समितियों का भविष्य दांव पर है, और हम इसे किसी भी कीमत पर बचाएंगे उन्होंने कहा प्राधिकरण की उदासीनता के कारण उत्तराखंड सरकार की छवि भी धूमिल हो रही है।।
नरेंद्र सिंह रावत, निवर्तमान अध्यक्ष, पौड़ी ने कहा की
“पौड़ी की सहकारी समितियों के सदस्य प्राधिकरण की निष्क्रियता से त्रस्त हैं। हमने बार-बार पत्र लिखे, अनुरोध किए, लेकिन प्राधिकरण ने कोई जवाब नहीं दिया। यह सहकारी समितियों के साथ विश्वासघात है। माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश को लागू करना प्राधिकरण की जिम्मेदारी थी, लेकिन उनकी उदासीनता ने हमें सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया है। 12 मई हमारा अंतिम अल्टीमेटम है। इसके बाद हम प्राधिकरण कार्यालय में तालाबंदी और अनिश्चितकालीन धरना शुरू करेंगे। यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं।”सहकारी आंदोलन का महत्वउत्तराखण्ड में सहकारी समितियां ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, जो लाखों किसानों, मजदूरों और छोटे व्यवसायियों को आर्थिक और सामाजिक सहारा प्रदान करती हैं। इन समितियों में समय पर चुनाव न होने से न केवल प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं, बल्कि सदस्यों का विश्वास भी डगमगा रहा है। सहकार बंधुओं का यह आंदोलन न केवल चुनाव की मांग है, बल्कि सहकारी व्यवस्था को मजबूत करने और लोकतंत्र को जीवंत रखने का एक संकल्प भी है। इस मोके पर नरेंद्र सिंह रावत निवर्तमान अध्यक्ष पौड़ी, निवर्तमान निदेशक सुनील हनुमंती बसंत सिंह कठेत. जे पी चंद, नरेश नेगी, सतपाल कलोडा, डॉ विजय लक्ष्मी, रोशनी राणा कुलदीप कठेत टिका राम भट्ट रणधीर बिष्ट एवं कई समितियां के सरपंच एवं सैकड़ो सदस्य उपस्थित थे

Also Read....  .SVISION संस्थान के 9 वें‌ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में संस्थान की एकदिवसीय परिक्षाओं की तैयारी से संबधित का किया आयोजन

 

LEAVE A REPLY