– मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, विशाल व रेखा भारद्वाज, आदिल हुसैन, नंदिता दास, शेफाली शाह सहित कई प्रतिष्ठित नामों ने साझा किए प्रेरणादायी विचार और अनुभव
- देहरादून – दून इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल (डीडीएलएफ) के सातवें संस्करण का दूसरा दिन विविध विचारों, रचनात्मक संवादों और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों से भरपूर रहा। पहले दिन की ऊर्जा और उत्साह को आगे बढ़ाते हुए, महोत्सव ने “वसुधैव कुटुम्बकम – वॉइसेज़ ऑफ़ यूनिटी” की थीम के तहत एकता, संवाद और कल्पनाशक्ति का उत्सव मनाया।
सुबह की शुरुआत “विमेन इन पावर – लीडिंग द चार्ज” सत्र से हुई, जिसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और वेनू अग्रहरी ढींगरा ने भारत में महिला नेतृत्व के बदलते स्वरूप पर विचार साझा किए। इस सत्र का संचालन दिल्ली भाजपा महिला मोर्चा की महासचिव प्रियल भारद्वाज ने किया।
सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “उत्तराखंड की महिलाएँ हमेशा से साहस, संघर्ष और जिम्मेदारी का उदाहरण रही हैं। मैं वेनू जी से आग्रह करता हूँ कि वे हमारे राज्य की महिलाओं की कहानियों पर भी एक पुस्तक लिखें ताकि उनके संघर्ष और ताकत को दुनिया जान सके। एक साधारण सैनिक के परिवार से आने के नाते, मैंने स्वयं सैनिक परिवारों की चुनौतियों को बहुत करीब से देखा है।”
उन्होंने आगे कहा, “जब प्रधानमंत्री मोदी बाबा केदार के धाम आए थे, उन्होंने दिल से कहा था — यह दशक उत्तराखंड का दशक होगा। उज्ज्वला योजना से 13 करोड़ से ज़्यादा महिलाओं को स्वच्छ रसोई गैस मिली है, और राज्य में स्व-सहायता समूहों की मजबूती ने घर-घर में परिवर्तन की नींव रखी है।”
छात्रों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “जेन ज़ी को राजनीति और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय दिलचस्पी लेनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में आज देश की कार्य संस्कृति बदल रही है—कड़ी मेहनत और ईमानदारी से काम करने वालों को पूरा सम्मान मिल रहा है।”
नेतृत्व के मूल्यों पर बोलते हुए उन्होंने कहा, “एक नेता को आचरण में सहज होना चाहिए, लेकिन निर्णय लेने में ईमानदार और दृढ़। मैं चाहता हूँ कि उत्तराखंड की हर बेटी नेतृत्व की राह पर आगे बढ़े—नेतृत्व केवल राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि हर उस क्षेत्र में है जहाँ आप उत्कृष्टता हासिल करते हैं।”
लेखिका वेनू अग्रहरी ढींगरा ने कहा, “जब कोई महिला जिम्मेदारी के पद पर पहुँचती है, वह अनगिनत महिलाओं के लिए प्रेरणा बन जाती है। मेरे लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ऐसी ही असाधारण मिसाल हैं—उनकी यात्रा दृढ़ता, गरिमा और उम्मीद की शक्ति का प्रतीक है।”
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी धर्मपत्नी गीता धामी ने वेनू अग्रहरी ढींगरा की पुस्तक ‘लीडिंग लेडीज़ – द न्यू वेव ऑफ फीमेल पोलिटिशियंस’ का विमोचन किया।
लेखक अजय जैन ने “बैक टू स्कूल – मेमरीज़, स्टोरीज़ एंड नॉस्टैल्जिया” में बचपन, दोस्ती और स्कूल के सुनहरे दिनों की यादें ताज़ा कराईं। उन्होंने कहा कि माता-पिता को शिक्षकों पर भरोसा करना चाहिए और यह समझना चाहिए कि नई तकनीक से ज़्यादा सीखने का माहौल बच्चों को आकार देता है।
उधर, शिक्षाविद और अभिनेत्री स्वरूप संपत रावल ने एच.एस. मान के साथ “इजुकेशन विद अ हार्ट – रीथिंकिंग द इंडियन क्लासरूम” में सीखने की प्रक्रिया को संवेदनशीलता, जिज्ञासा और समावेशन से जोड़ने का दृष्टिकोण साझा किया। वहीं, कवि–राजनयिक अभय के ने मुरतज़ा अली खान के साथ “द एटरनल क्लासरूम – इंडिया एंड द ग्लोब” में भारत की सभ्यतागत बुद्धिमत्ता और वैश्विक चिंतन पर चर्चा की।
“माइक चेक – इंडी म्यूज़िशियंस राउंडटेबल” में ओशो जैन, वेदी सिन्हा, बुलंद हिमालय और निखिल सकलानी ने आरजे सपना के साथ संगीत, स्वतंत्र कला और रचनात्मकता पर खुलकर बातचीत की। साहित्यिक विमर्श “रिक्लेमिंग सीता’ज़ नैरेटिव – त्तृण धरि ओट” में कवयित्री अनामिका ने निष्ठा गौतम और प्रशांत कोचर के साथ अपनी कृति पर चर्चा की, जिसके बाद सीता’ज़ वेल के अंग्रेज़ी अनुवाद का विमोचन हुआ।
“द ग्लोबल क्लासरूम – अ मोमेंटम ऑफ़ कोलैबोरेशन एंड कम्पैशन” सत्र में स्पेन के भारत में राजदूत जुआन एंटोनियो मार्च पुजोल और अभय के ने मोमेंटम पुस्तक पर आधारित वैश्विक सहयोग और सांस्कृतिक संवेदना पर विचार साझा किए।
इतिहासकार सैम डालरिम्पल ने “फ्रॉम फ्रैक्चर टू कॉन्टिन्यूम – द मेनी पार्टिशन्स ऑफ़ अवर लैंड” में विभाजन के बहुआयामी पहलुओं पर प्रकाश डाला और बताया कि बँटी हुई कहानियाँ कैसे वर्तमान पहचान को प्रभावित करती हैं।
फिल्मकार और संगीतकार विशाल भारद्वाज ने “ऑफ़ मेटाफ़र्स एंड मेलोडीज़” में अपनी रचनात्मक यात्रा और कविता से संगीत के मेल पर विचार प्रस्तुत किए। वहीं, प्रख्यात गायिका रेखा भारद्वाज और मालिनी अवस्थी ने “गाँव, घर, गाथा – द फोक रूट्स ऑफ़ इंडिया” में भारतीय लोक संगीत की आत्मा और उसकी कहानियों को उजागर किया।
“द वुमन इन द फ्रेम– शेफाली शाह’ज़ सिनेमा” में प्रसिद्ध अभिनेत्री शेफाली शाह ने लेखक अक्षत गुप्ता के साथ अपने किरदारों, उनके स्वर और सशक्तिकरण की प्रक्रिया पर विस्तृत बातचीत की।
“द अल्टरनेट एक्ट – सिनेमैटिक स्टोरीटेलिंग विद ए पर्पस” में नंदिता दास, आदिल हुसैन और लीना यादव ने लक्ष्मी देब रॉय के साथ सिनेमा के सामाजिक प्रभाव और उसके मानवीय दृष्टिकोण पर चर्चा की।
बच्चों के लिए आयोजित करैक्टर लैब और टाइनी थिंकर्स जैसी कार्यशालाओं ने उन्हें कहानी कहने, सहानुभूति और कल्पनाशीलता के नए आयामों से परिचित कराया।
दिनभर चले सत्रों में “द लैबिरिंथ ऑफ़ हिस्ट्री” में गौतम हज़ारिका, प्रोबल दासगुप्ता, ज्योत्सना मोहन और नीना नेहरू ने समकालीन इतिहास की जटिलताओं पर विचार रखा। “टंग्स ऑफ़ फ़्लेम – टेल्स ऑफ़ सूफ़ी वुमन” में एमी सिंह और राधिका सूद नायक ने सूफ़ी महिलाओं की आध्यात्मिक गहनता को प्रस्तुत किया।
“हरस्टोरी इन वर्स 3.0” में रोशेल पोटकर, सांछि मनोत्रा, एमी सिंह, सौम्या कुलश्रेष्ठ और केना श्री ने महिलाओं की बदलती साहित्यिक आवाज़ों पर चर्चा की। “राइटिंग इंडिया – मैपिंग द सोल ऑफ़ ए नेशन” में शॉन डॉयल, मोना वर्मा, प्रियंका कांतूरा, बिजोया साविआन और कार्तिक वेंकटेश ने साहित्य के माध्यम से भारत की विविध कथाओं पर दृष्टि डाली। “उर्दू है मेरा नाम” में अनीसुर रहमान और अम्बर खर्बंदा ने उर्दू भाषा की सांस्कृतिक विरासत पर सुंदर विमर्श किया।
दिन का समापन “फ्रॉम द हिमालयाज़, विद लव” में ओशो जैन, बुलंद हिमालय और वेदी सिन्हा के मनमोहक संगीत प्रदर्शन के साथ हुआ |









