ऋषिकेश – आर. के. विश्नोई, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड ने बताया कि नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति की 40वीं अर्धवार्षिक बैठक 18.08.2025 को टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड, ऋषिकेश के रसमंजरी हॉल में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता नराकास, अध्यक्ष एवं टीएचडीसी के निदेशक (कार्मिक), श्री शैलेन्द्र सिंह ने की । बैठक में समिति के सदस्य संस्थानों के प्रमुखों/प्रतिनिधियों एवं राजभाषा अधिकारियों ने बड़ी संख्या में प्रतिभागिता की। विदित ही है कि नराकास हरिद्वार देश की सबसे बड़ी नराकासों में से एक है जिसमें सदस्य संस्थानों की संख्या 69 है। इस समिति में रुड़की, हरिद्वार, ऋषिकेश एवं पर्वतीय क्षेत्र में स्थित केंद्र सरकार के संस्थान एवं कार्यालय सम्मिलित हैं।
कार्यक्रम में सर्वप्रथम समिति के अध्यक्ष एवं टीएचडीसी के निदेशक (कार्मिक), श्री शैलेन्द्र सिंह, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश की निदेशक, श्रीमती मीनू सिंह, एनआईएच रुड़की के निदेशक, डॉ वाई.आर.एस.राव, राजभाषा विभाग के उप निदेशक, श्री छबिल मेहेर, टीएचडीसी के मुख्य महाप्रबंधक (मा.सं.एवं प्रशा.), डॉ अमर नाथ त्रिपाठी एवं विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के टीईएस हाईस्कूल के विद्यार्थियों के द्वारा सरस्वती वंदना एवं स्वागत गान प्रस्तुत किया गया। सभी उपस्थित प्रतिभागियों ने करतल ध्वनि से इन विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन किया ।
बैठक के दौरान पुरस्कार वितरण समारोह में समिति के अध्यक्ष, श्री शैलेन्द्र सिंह ने अपने कर-कमलों से छमाही के दौरान नराकास के तत्वावधान में आयोजित प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया । इस अवसर पर नराकास की वार्षिक पत्रिका ‘’ज्ञान प्रकाश’’ के 13वें अंक, टीएचडीसी की राजभाषा पत्रिका ‘’पहल’’, केंद्रीय विद्यालय, एसएसबी श्रीनगर की छमाही पत्रिका ‘’वागिशा’’ के प्रथम अंक का विमोचन किया गया।
बैठक में नराकास सचिव, पंकज कुमार शर्मा द्वारा नराकास हरिद्वार द्वारा आयोजित गतिविधियों एवं राजभाषा से संबंधित नवीनतम जानकारियों से अवगत कराया गया । उन्होंने राजभाषा हिंदी की प्रगति की अर्धवार्षिक रिपोर्टो की समीक्षा की। इसके उपरांत चर्चा सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें उपस्थित सदस्य संस्थानों के प्रमुख एवं प्रतिनिधियों ने अपने बहुमूल्य सुझाव दिए।
बैठक में समिति के अध्यक्ष, शैलेन्द्र सिंह की इसी माह सेवानिवृत्ति होने के कारण उन्हें विशिष्ट सम्मान प्रदान किया गया। इस अवसर पर समिति में उनके उत्कृष्ट नेतृत्व के दृष्टिगत भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग की ओर से प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया । समिति के सदस्य संस्थानों के प्रमुखों ने श्री सिंह को नराकास, हरिद्वार की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट किया ।
भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग के उप निदेशक (कार्यान्वयन), छबिल कुमार मेहेर ने श्री सिंह को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं संप्रेषित की । श्री मेहेर ने कहा कि श्री सिंह के नेतृत्व में नराकास हरिद्वार की बैठकें नियमित अंतराल पर आयोजित की गई । कई ऐसी नराकास हैं जिनका गठन होने के बाद उनकी गति मंद पड़ जाती है। परन्तु नराकास हरिद्वार का वर्ष 2005 में गठन होने के बाद से ही यह उत्कृष्टता से कार्य कर रही है। इसका श्रेय इस समिति के संचालकों एवं विशेष रूप से इसके उन सभी व्यक्तियों को जाता है जो पहले इस समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं और जो इस पद पर अभी कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बैठक में उपस्थित सभी संस्थानों से भारत सरकार की राजभाषा नीति, अधिनियमों एवं नियमों का अक्षरश: अनुपालन करने का अनुरोध किया। उन्होंने संस्थानों से हिंदी के मानक पदों को यथाशीघ्र भरने का भी अनुरोध किया।
समिति के अध्यक्ष, शैलेन्द्र सिंह ने अपने संबोधन में सभी सदस्य संस्थानों के प्रमुखों एवं प्रतिनिधियों का उनके प्यार एवं सम्मान के लिए धन्यवाद देते हुए समिति के संचालन में सबके सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हमारे देश भारत के अधिकतर लोगों की भाषा हिंदी है। हम हिंदी में ही अपनी बात को प्रभावशाली ढंग से रख सकते हैं और हिंदी में बोली जाने वाली बात सबकी समझ में आ जाती है । हिंदी अपने भावों एवं विचारों को व्यक्त करने का सरल एवं सहज माध्यम है इसलिए आपस में सामान्य वार्तालाप में और अपने घरों में हिंदी में ही बात करते हैं । हिंदी की विशेषता है कि इसमें सभी भाषाओं के शब्दों को अपनाने की प्रबल शक्ति मौजूद है। उन्होंने सभी संस्थानों के प्रमुखों को बताया कि राजभाषा विभाग द्वारा वर्ष 2025-26 के लिए जारी किए गए वार्षिक कार्यक्रम की कुछ मदों के प्रतिशत में परिवर्तन किया गया है, इसलिए इस नवीनतम वार्षिक कार्यक्रम का संदर्भ अवश्य ही ग्रहण करें। उन्होंने कहा कि भारत सरकार हिंदी के प्रचार-प्रसार में अपनी ओर से भरसक प्रयास कर रही है जिसके परिणामस्वरूप हिंदीतर राज्यों में हिंदी सम्मेलनों का आयोजन किया जा रहा है। ‘’क’’ क्षेत्र में होने के कारण हमें भरसक प्रयास करना चाहिए कि राजभाषा विभाग द्वारा दिए गए लक्ष्यों को पूरा करने के लिए दिए गए दिशा-निर्देशों का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित करें । कार्यक्रम के अंत में उन्होंने सभी सदस्य संस्थानों के प्रमुख एवं प्रतिनिधियों को बैठक में भाग लेने के लिए धन्यवाद दिया।