पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी भारतीय कलाकार को विदेशी गाने में अपने म्यूजिक के लिए क्रेडिट और रॉयल्टी मिली : मिथुन

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संगीतकार इस बात से बेहद उत्साहित हैं कि उनके ‘सनम रे’ गीत के छोटे से हिस्से का इस्तेमाल अमेरिकी रैपर सी.जे. के ट्रैक व्हूप्टी में किया गया, और इसके लिए उन्हें क्रेडिट भी दिया गया

मशहूर संगीतकार-लेखक मिथुन के ‘सनम रे’ (2016) के टाइटल ट्रैक ने भारत के साथ-साथ दुनिया भर में कई लोगों को इस गीत को नए सिरे से तैयार करने और इसके छोटे से हिस्से का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया। अमेरिकी रैपर सी.जे. द्वारा तैयार किया गया व्हूप्टी 2020 वर्जन भी उनमें से एक है, जिसमें उनकी रचना के एक अहम हिस्से को शामिल किया गया था। हाल ही में, द अमेरिकन सोसाइटी ऑफ़ कम्पोज़र्स, ऑथर्स एंड पब्लिशर्स (ASCAP) ने इस गीत को ‘सॉन्ग ऑफ़ द ईयर’ के पुरस्कार से सम्मानित किया है। उन्होंने मिथुन के काम का भी सम्मान किया और इसका क्रेडिट दिया। यह लंबे अरसे बाद भारतीय म्यूजिक इंडस्ट्री के लिए शायद सबसे बड़ी खबर है। मिथुन कहते हैं, “मैं बेहद खुश हूँ, क्योंकि यह सभी भारतीय संगीतकारों के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है जिनका आज मैंने प्रतिनिधित्व किया है।”

 

मिथुन कहते हैं, “भारतीय संगीत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब किसी भारतीय कलाकार को विदेशी गाने में अपने म्यूजिक के छोटे से हिस्से/धुन के इस्तेमाल के लिए क्रेडिट और रॉयल्टी मिली है। यह जावेद अख़्तर साहब और उनकी टीम द्वारा किए गए अथक प्रयासों की वजह से ही संभव हो पाया है, जिन्होंने 2012 में कॉपीराइट अधिनियम (संशोधन) विधेयक की अगुवाई की थी, जिसमें कहा गया था कि रॉयल्टी के अधिकार का हस्तांतरण नहीं किया जा सकता। एक कलाकार और भारतीय संगीतकार के रूप में मैं बहुत संतुष्ट महसूस कर रहा हूँ, और न सिर्फ निजी तौर पर बल्कि हमारी पूरी इंडस्ट्री के लिए इसे लेकर बेहद उत्साहित हूँ। अब समय आ गया है कि भारतीय संगीतकार एक कलाकार के तौर पर अपनी धुन और रचनाओं के जरिए दुनिया में जो योगदान दे रहे हैं, उसके लिए उनका सम्मान किया जाए।

 

दुनिया की कुछ मशहूर हस्तियों द्वारा भारतीय कलाकारों की रचनाओं का उपयोग करने और इसके लिए उन्हें श्रेय नहीं देने के कई उदाहरण सामने आए हैं, जिनमें ब्रिटनी स्पीयर्स, ब्लैक आइड पीज़, नेली फ़र्टाडो, कान्ये वेस्ट जैसे कई दिग्गजों के नाम शामिल हैं। मिथुन कहते हैं, “सच कहूँ तो मुझे इस बात की खुशी है कि अब पूरी प्रणाली बेहद मजबूत हो चुकी है, और अगर आप किसी के संगीत का उपयोग करते हैं, या उसके किसी हिस्से का इस्तेमाल करते हैं, तो सिस्टम उसे फिंगरप्रिंट पर ट्रैक कर लेता है और फिर आपको क्रेडिट के साथ-साथ रॉयल्टी भी दी जाती है।”

 

भारत में द इंडियन परफॉर्मिंग राइट सोसाइटी लिमिटेड (IPRS) को कॉपीराइट अधिनियम 1957 के तहत पंजीकृत किया गया है, जो सरकार द्वारा अधिकृत संस्था है और देश भर के 9000 से अधिक जाने-माने लेखकों, संगीतकारों एवं म्यूजिक पब्लिशर्स का प्रतिनिधित्व करती है। IPRS गीतकारों, संगीतकारों एवं म्यूजिक पब्लिशर्स के अधिकारों की हिफाज़त करने तथा उनके करियर को आकार देने वाले मामलों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए लगातार काम कर रहा है, साथ ही उन्हें अपनी रचनाओं से अधिकतम लाभ प्राप्त करने में भी मदद कर रहा है।

 

ए.आर. रहमान कहते हैं, “यह देखकर काफी अच्छा लगता है, जब कोई कलाकार किसी दूसरे कलाकार की रचना का उपयोग करने के बाद उसे श्रेय देता है, जैसा कि इस मामले में हुआ है। कला के माध्यम से पूरी दुनिया अपनी भौगोलिक और भाषाई सीमाओं को तोड़कर करीब आ रही है, और ऐसे समय में हमारी बिरादरी के बीच एकजुटता की भावना एक शानदार उपलब्धि है। साथ ही, सभी के अधिकारों का समर्थन करने वाली ASCAP जैसी संस्थाओं ने इस क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों के लिए पूरी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बना दिया है। वाकई यह सही दिशा में उठाया गया एक कदम है। मुझे उम्मीद है कि भविष्य में भारतीय कलाकारों की सफलता की कई और कहानियाँ सामने आएंगी।”

 

इस अवसर पर श्री जावेद अख़्तर कहते हैं, “रचनाकारों उनकी रॉयल्टी मिल रही है जो उनका हक़ है। मुझे मिथुन और उनके संगीत के प्रभाव पर बहुत गर्व हो रहा है। दुनिया भर में कई लोगों ने उनकी धुन को फिर से बनाया है और उन्हें इसका श्रेय दिया है। उसे अपनी वाजिब रॉयल्टी मिल रही है। एक समय था जब संगीतकार वेस्टर्न म्यूजिक को अपने गीत-संगीत में इस्तेमाल किया करते थे, और भारतीय फिल्म संगीत पर इसका असर दिखाई देता है। लेकिन आज हम आयातक से निर्यातक बन चुके हैं, और हम अपना संगीत वहाँ भेज रहे हैं। दुनिया भर के कई बड़े सितारे हमारे सैकड़ों गीतों, रचनाओं, गाने के मुखड़े और अंतरे का इस्तेमाल कर रहे हैं। अब सबसे अच्छी बात यह है कि लोगों को उनकी वाजिब रॉयल्टी मिल रही है, और यह 2012 में लागू हुए कानून की वजह से ही संभव हो पाया है। मुझे संगीतकारों और रचनात्मक लोगों का भविष्य काफी उज्जवल नज़र आ रहा है।”

 

चर्चा को आगे बढ़ाते हुए, IPRS के सीईओ, श्री राकेश निगम ने कहा, “मिथुन की इस उपलब्धि से मुझे बेहद प्रसन्नता हुई है और मुझे इस बात खुशी है कि अब न केवल भारतीय संगीत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान और मान्यता दी जा रही है, बल्कि भारतीय रचनाकार को उनकी रचना का श्रेय और रॉयल्टी भी प्राप्त हो रहा है। एक म्यूजिक कॉपीराइट संस्था होने के नाते, हम म्यूजिक इकोसिस्टम को स्थायी बनाने के लिए प्रयासरत हैं जो संगीत के क्षेत्र में ईमानदारी एवं निष्पक्ष भुगतान को बढ़ावा देगा, रचनात्मकता को प्रोत्साहित करेगा और युवा गीतकारों, संगीतकारों एवं स्वतंत्र कलाकारों का हौसला बढ़ाएगा। संगीत हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा है; लिहाजा उचित यही होगा कि हम संगीत को महत्व दें, साथ ही गीतों और धुनों के पीछे मेहनत करने वाले लोगों को उनका सही हक़ और श्रेय देकर उनके प्रति अपना प्यार जताएँ।

 

रॉयल्टी के बारे में रचनाकारों को किन बातों की जानकारी होनी चाहिए। ऐसी कोई इकलौती गतिविधि नहीं है जिसके माध्यम से रॉयल्टी के प्रभावी तरीके से संग्रह को निर्धारित किया जा सके। एक रचनाकार किसी पब्लिशिंग एडमिनिस्ट्रेटर के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करता है, जिसे इस व्यवस्था और प्रक्रियाओं की जानकारी होती है, साथ ही वह सुनिश्चित करता है कि इस प्रक्रिया में लाभार्जन का कोई अवसर छूट न जाए। रॉयल्टी-संग्रह करने वाले संगठन गाने एवं म्यूजिक की पहचान करने के लिए मेटाडेटा (गीत की जानकारी) का उपयोग करते हैं, ताकि जब उनका इस्तेमाल किए जाने पर वे उसके रचनाकारों को भुगतान कर सकें।

 

 

 

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